विशिष्ट कवि :: धर्मेंद्र गुप्त ‘साहिल’
कई हिस्सों में बंटी है मां
- धर्मेंद्र गुप्त ‘साहिल’
कई हिस्सों में बँटी है
माँ के सभी हिस्से
अलग-अलग रहते हैं
माँ बारी-बारी से
प्रत्येक हिस्से के पास रहती है
माँ चाहती है
कि उसके सभी हिस्से
उसके पास रहें
एक साथ
लेकिन
ख़ास मौकों को छोड़कर
ऐसा बहुत कम होता है
माँ आज बहुत बीमार है
पर बहुत ख़ुश है
कि उसके
सभी हिस्से
उसके पास हैं
एक साथ.
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