थोड़ा सा नाराज हूं
तुम मिले फिर आज मुझसे,
खुश बहुत मै आज हूं।
छोड़कर पर क्यूं गये थे,
थोड़ा सा नाराज हूं।।
दीवारों के बीच थे बैठे,
मन मे घुटन सी होती थी।
बीती बातें याद आती थी,
दिल मे चुभन सी होती थी ।।
याद किया तुझे हर पल जैसे,
तू सरगम मै साज हूं।
छोड़कर पर क्यूं गये थे,
थोड़ा सा नाराज हूं।।
परदों के बाहर की दुनिया,
पूरी तरह मै भूल चुका ।
ठंढी हवा के झोंकों मे तब,
तेरी छुवन सी होती थी।।
आज फिर से मै हंसा हूं,
फिर से खुश मै आज हूं।
छोड़कर पर क्यूं गये थे,
थोड़ा सा नाराज हूं।।
लगे आती है तेरी खुशबू
लगे आती है तेरी खुशबू
मेरी सांसों से।
जब भी देखूँ तुझे अपनी
बंद आंखों से ।।
नजर आती हो खूब हंसते हुए,
मुझको बांहों मे अपनी कसते हुए ।
ख्वाब है या कोई हकीकत है,
या कोई प्यार दिल में बसते हुए ।।
हर सुबह तू मुझे जगाती है,
ऐसा एहसास तू दिलाती है ।
नहीं होके भी छू के जाती है,
होना क्या है मुझे बताती है।।
भूलूं भी तो तू याद आ जाए,
तेरे बिन दिल कहीं न रह पाए।
तेरे बिन कोई और न भाये,
दूर मुझसे कभी तू न जाए ।।
जब से दिल में तुझे
जब से दिल में तुझे समाया है
मेरी आँखों में तेरा साया है ।
परदा हिलता हवा के झोंकों से,
मुझको लगता है कोई आया है।
मैंने खोये हैं कीमती लम्हें ,
तब ही जाकर के तुमको पाया है।
लड़खड़ाया हूं जब भी राहों में,
तुमने आकर मुझे उठाया है।
प्यार तेरा मिला मुझे जबसे
मैंने खुद को अलग ही पाया है।