1
मैं भी हाँ मे हाँ मिलाना सीख ही लूँ
जैसा गाना हो बजाना सीख ही लूँ।
बॉस की हर बात पर, बेबात पर भी
क़हक़हा खुलकर लगाना सीख ही लूँ।
ख़ुश अमीरे-शहर को करने की ख़ातिर
ज़ोर से ठुमके लगाना सीख ही लूँ।
थक गया सच बोलते, कोई न माना
बात अब झूठी बनाना सीख ही लूँ।
पहले मंदिर मे जलाने की जगह मैं
अब दिया घर मे जलाना सीख ही लूँ।
2
हमारा नाम ले कोई तो वो पहचान लेते हैं
नहीं होता यकीं फिर भी चलो हम मान लेते हैं।
जिन्हें ख़ुद पर भरोसा हो, तमन्ना भी नहीं कोई
वो दीवाने किसी से भी न कुछ वरदान लेते हैं।
भले कितनी भी दूरी हो मगर तुम पास हो इतने
तुम्हारा हाल बतलाये बिना बताये जान लेते हैं।
ज़रा-सा भी पता है रूप असली यार जिनको वो
नहीं गंभीरता से मान और अपमान लेते हैं।
कभी पीछे नहीं हटते इरादे नेक हों जिनके
वो करके मानते अपने जो दिल मे ठान लेते हैं।
3
हम तेरी बेरुख़ी के मारे हैं
लोग कहते हैं हम तुम्हारे हैं।
मुफलिसी, बदहालियाँ , बेदारियाँ
हमने दिन बस यूँ ही गुजारे हैं।
हम घड़ी भर उन्हें नहीं भाते
यार आँखों की जिनके तारे हैं।
आरती हम न उनकी कर पाये
आरती जिनकी सब उतारे हैं।
दीन-दुनिया से बेख़बर हैं जो
वो सगे भाई सब हमारे हैं।
4
मिले जो प्यार को न प्यार तो तकलीफ होती है
बुरा अपनों का हो व्यवहार तो तकलीफ होती है।
सदा सद् आचरण का जो सभी को ज्ञान देते है
बुरे उनके हों जो आचार तो तकलीफ होती है।
जिन्होंने घर बनाया है पसीना ख़ून कर अपना
वही घर मे दिखें लाचार तो तकलीफ़ होती है।
बिछाता ही रहा हो फूल जो औरों की राहों मे
उसी की राह हो पुरख़ार तो तकलीफ़ होती है।
पढ़ाई जिसने की इक उजले कल की कामना लेकर
वही फिरता रहे बेकार तो तकलीफ़ हैती है।
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