विशिष्ट गजलकार : वशिष्ठ अनूप

1 सारे जग से निभाया तुम्हारे लिए हर किसी को मनाया तुम्हारे लिए तुमको अपना बनाना था बस इसलिए सबको अपना बनाया तुम्हारे लिए नाज़...