खास कलम : पंखुरी सिन्हा
घिर रही हैं बदलियां अब जाने किधर घिर रही हैं बदलियां अब जाने किधर ना जाने किस देस में ठनका गिरा है किस...
आधुनिक हिन्दी ग़ज़ल-शिल्प और कथ्य : अनिरुद्ध सिन्हा
आधुनिक हिन्दी ग़ज़ल-शिल्प और कथ्य - Nअनिरुद्ध सिन्हा मैं यह मानता हूँ दुष्यंत कुमार हिन्दी ग़ज़ल के अनिवार्य हस्ताक्षर हैं। उनके ग़ज़ल -लेखन का कथ्य...
रोचकता की खुशबू से पन्ने महक रहे : पारुल सिंह
रोचकता की खुशबू से पन्ने महक रहे : पारुल सिंह "यायावर हैं आवारा हैं बंजारे हैं", ये किताब हाथ में लेते ही मुझे बहुत...
विशिष्ट ग़ज़लकार : केशव शरण
1मेरी छोटी-सी उलझन को सुलझाने में साथी मुझको लेकर आए मयख़ाने में शीशा तोड़ा फिर दिल तोड़ा पर जाने दो ऐसा उनसे हो जाता है...
विशिष्ट गीतकार : राम किशोर दाहिया
स्वाभिमान का जीना लीकें होती रहीं पुरानी सड़कों में तब्दील नियम-धरम का पालन कर हम भटके मीलों-मील । लगीं अर्जियाँ ख़ारिज लौटीं द्वार कौन-सा देखें...
विशिष्ट कवि : संजय छिपा
लोग कविता में स्वाद देखते है उस खून को नहीं देखते जो स्याही बनकर टपकता है आँखों से कुछ लोगों को आदत है शब्दों को...
विशिष्ट कहानीकार : प्रवीण कुमार सहगल
पिता के जाने के बाद पिताजी सीरियस हैं, बड़े भैया का फोन आया तो हतप्रभ रह गया। अभी दो दिन पहले ही तो मैं घर...