खास कलम : अंजनी कुमार सुमन
1 ये है मेरा ये है तेरा को किनारा रखना मेरा भारत तो हमारा था हमारा रखना कहा इकबाल ने सारे जहाँ से अच्छा था...
विशिष्ट कहानीकार :: चाँदनी समर
कब्र की मिट्टी - चाँदनी समर सर्दी और बढ़ गई थी। मैने लिहाफ़ खींच खुद को उसमे लपेट लिया कि आज देर तक सोऊंगी ।...
सामाजिक दायित्व के बोध की ग़ज़लें :: चुप्पियों के बीच
सामाजिक दायित्व के बोध की ग़ज़लें :: चुप्पियों के बीच मुकेश कुमार सिन्हा वो विज्ञान की विद्यार्थी रहीं हैं। रसायन शास्त्र पसंदीदा विषय है।...
लघुकथा :: ज्वाला सांध्यपुष्प
मां का आशीर्वाद - ज्वाला सांध्यपुष्प आज शहर के युवा चिकित्सक अमितशंकर के प्रथम पुत्र की छट्ठी की रस्म थी और वे खुद अनुपस्थित थे।शहर...
विशिष्ट ग़ज़लकार :: स्वदेश भटनागर
1 वक्त ने कैसी तल्खियां दे दी कब्र के नाम चिट्ठियां दे दी ले के लम्हों ने हमसे आवाजें बात करने को चुप्पियां दे दी...
विशिष्ट गीतकार :: अवनीश सिंह चौहान
देवी धरती की दूब देख लगता यह सच्ची कामगार धरती की मेड़ों को साध रही है खेतों को बाँध रही है कटी-फटी भू को अपनी-...
संस्मरण :: बाघ की गुर्राहट सुन पेड़ पर कटी रात
बाघ की गुर्राहट सुन पेड़ पर कटी रात! - बिभेष त्रिवेदी, वरीय पत्रकार यह बनौली फारेस्ट गेस्टहाऊस है। वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के बड़े परिसर में...
विशिष्ट कवि : अभिजीत
रोटी की बात मत करो रोटी की बात मत करो रोटी पर सवाल मत करो बात करनी हो तो करो सिर्फ मेरी मेरे आगे रोटी...