विशिष्ट गीतकार : मृदुल शर्मा
1 सगुन पांखी अब नहीं इस तरफ आते।। जि़न्दगी जकड़ी हुई है हादसों मे। खून बन कर बह रहा है भय नसों मे। ...
विशिष्ट ग़ज़लकार : दिनेश प्रभात
दोस्तो! साहित्य में नौ रस होते हैं. सोचा भी नहीं था कि कभी दस वांँ भी रस होगा और उसका नाम होगा - वायरस. कविताओं...
लघुकथा : कैलाश झा ‘किंकर’
बाबूजी ठीक कह रहे हैं - कैलाश झा किंकर 'कोरोनटाईन सेंटर के प्रभारी के रूप में तुमने ग़लत कमाई का जो अम्बार खड़ा कर...
विशिष्ट कहानीकार : राजेन्द्र श्रीवास्तव
कोरोना की चिट्ठी कर्मवीर के नाम - राजेन्द्र श्रीवास्तव प्यारे...
विशिष्ट गीतकार : रंजन कुमार झा
रंजन कुमार झा (1) व्याधि तुझे तो आना ही था सँग कुदरत के इन मनुजों ने जो निर्मम व्यवहार किया है भू, जंगल, पर्वत, नदियों...
विशिष्ट गीतकार : मंजू लता श्रीवास्तव
धन्य ये प्राण हो गए हाट हुए हैं बंद घाट सुनसान हो गए जीवन के अवरुद्ध सभी अभियान हो गए था स्वतंत्र अब तक...
विशिष्ट गीतकार : शुभम् श्रीवास्तव ओम
काँपता है गाँव गाँव में कुछ लोग लौटे हैं शहर से! हैं वही परिचित वही अपने-सगे हैं पाँव छूकर फिर गले सबके लगे हैं रोज...
विशिष्ट कवि : ब्रज श्रीवास्तव
अणु एक अणु ने ओढ़ लिया है ज़हर वह अपनी काली शक्ति से मार डालना चाह रहा है बचपन वह उम्र को निगलने के लिए...
विशिष्ट गीतकार : राजेन्द्र वर्मा
1 पीठ पर माँ बेटा माँ को लाद पीठ पर चला गाँव को । देश बंद है, ख़त्म हुआ सब दाना पानी, दो रोटी देने...
विशिष्ट ग़ज़लकार : के.पी.अनमोल
1 मौला मुझको घर जाना है माई रस्ता देखे है छत, पनियारा, ओसारा, अँगनाई रस्ता देखे है पिछली बार कहा था बेटा इक दिन...