लघुकथा :: डॉ.पूनम गुजरानी
भीगा-भीगा प्रेम ...
विशिष्ट गीतकार :: डॉ रंजीत पटेल
निर्भया को याद करते हुए उजाले समय में तमस डाला डेरे राह में चतुर्दीक कंटकों के घेरे छला है उसे सबने रौंदा मन के सपने...
पुस्तक समीक्षा :: अविनाश रंजन
हर जगह हैं पत्थरबाज़ - अविनाश रंजन समकालीन कविता के प्रमुख...
खास कलम : अफरोज आलम
नज़्म - रेप शेख फ़रमाते हैं डार्विन झूठा था इंसान कब बंदर था? इंसान तो ऐसा कभी भी नहीं था शेख फ़रमाते हैं लटकना, झपटना,कभी...
विशिष्ट कवि :: श्यामल श्रीवास्तव
वायरस जानते हो समय भूमंडलीकरण में जितने हम-सब पास-पास आयें थे उतने ही दूर होते जा रहे हैं इंसान अपने हाथों अपनी सभ्यता को नष्ट...
हिन्दी ग़ज़ल पर नक्काशियों की व्यापकता :: अनिरुद्ध सिन्हा
हिन्दी ग़ज़ल पर नक्काशियों की व्यापकता ...
अभिनंदन कराने की ललक :: प्रशांत करण
अभिनन्दन कराने की ललक ...
विशिष्ट कहानीकार :: सुशांत सुप्रिय
छुई-मुई ...
विशिष्ट ग़ज़लकार :: दिनेश मालवीय अश्क
1 मैं भी हाँ मे हाँ मिलाना सीख ही लूँ जैसा गाना हो बजाना सीख ही लूँ। बॉस की हर बात पर, बेबात पर...