जीवन का हर मर्म खोलता है दिन कटे हैं धूप चुनते : अनिल कुमार झा

जीवन का हर मर्म खोलता है दिन कटे हैं धूप चुनते - अनिल कुमार झा नवगीत आज किसी परिचय का आश्रय नहीं ढूंढता क्योंकि अपनी...

ग़ज़ल की मुख़्तसर तारीख़ और हिंदी- उर्दू ग़ज़लों का इरतक़ाई (विकसित) पहलू 2020 तक :: अफरोज़ आलम

ग़ज़ल की मुख़्तसर तारीख़ और हिंदी- उर्दू ग़ज़लों का इरतक़ाई (विकसित) पहलू 2020 तक - अफरोज़ आलम उर्दू अदब के शोहरा आफ़ाक़ नक्क़ाद ( World...

लोक आलोक की सांस्कृतिक सुरसरि डॉ मृदुला सिन्हा :: डॉ संजय पंकज

लोक आलोक की सांस्कृतिक सुरसरि डॉ मृदुला सिन्हा - डॉ संजय पंकज डॉ मृदुला सिन्हा हिंदी की बड़ी लेखिका थी और अपनी यश: काया के...

विशिष्ट ग़ज़लकार : वशिष्ठ अनूप

1 कभी बैठेंगे हम,सुख-दुख कहेंगे, अगर ज़िन्दा रहे तो फिर  मिलेंगे।   बहुत  दुख-दर्द  जीवन में सहे हैं, ये कुछ दिन की तबाही भी सहेंगे।...