ख़ास कलम :: हेमा सिंह
माँ - हेमा सिंह मैं रोई तो माँ भी मेरे दर्द से कितना रोई थी ! जीवन दान मुझे देने को, आशीषों के ताग...
दोहे :: गरिमा सक्सेना
दोहे गरिमा सक्सेना माँ है मूरत प्रेम की, ममता का भंडार। संतानों में देखती, वो अपना संसार।। सदा सुधा ही बाँटती, सहकर शिशु की लात।...
विशिष्ट गीतकार :: डॉ. सीमा विजयवर्गीय
तस्वीरों में जब भी माँ दिख जाती है डॉ. सीमा विजयवर्गीय तस्वीरों में जब भी माँ दिख जाती है मुझको उसकी बेहद याद सताती है...
विशिष्ट गीतकार :: सोनिया अक्स
नज़्म सोनिया अक्स अभी जिंदा है मेरी मां , अभी मैं रो नहीं सकती अंधेरे लाख घिर आऐं तजल्ली खो नही सकती मेरे अश्कों का...
विशिष्ट गीतकार :: योगिता ‘जीनत’
माँ - योगिता 'जीनत' जब मैंने अपने अधरों से पहली बार कहा था माँ , तेरी अँखियों से ममता का कितना नीर बहा था माँ...
विशिष्ट गीतकार :: डॉ. संजय पंकज
डॉ. संजय पंकज के तीन गीत मां तो होती सबके आगे पीछे रहती रखती सबको साए में! मां तो होती धूप चांदनी कुछ गाए अनगाए...
विशिष्ट गीतकार :: महेश कटारे सुगम
नवगीत अम्मा महेश कटारे सुगम घर में नहीं अकेली अम्मा तुलसी का घरुवा गुटका रामायण का भगवानों से सजा हुआ इक सिंहासन एक दुधारू गैया...
विशिष्ट ग़ज़लकार :: वशिष्ठ अनूप
ग़ज़ल वशिष्ठ अनूप तिनके तिनके हमेशा जुटाती रही एक घर अपने मन में बनाती रही दूध और भात हर दिन कहाँ था सुलभ किंतु मां...
विशिष्ट ग़ज़लकार :: रवि खण्डेलवाल
ग़ज़ल रवि खण्डेलवाल घर के अंदर माँ रहती है, माँ के अंदर घर बिन माँ के सूनी दीवारें, सूना घर का दर माँ ही ऐसी...
विशिष्ट ग़ज़लकार :: विकास
ग़ज़ल विकास जिस घर में माँ का साया है कौन उसे दुख दे पाया है माँ के चरण कमल के नीचे दुनिया की स्नेहहिल छाया...