बड़ा पाप : चाँदनी समर
बड़ा पाप - चांदनी समर संध्या के समय जब समुद्र की लहरें किनारे से टकरा कर दम तोड़ रही थी तो गुब्बारेवाला भी तेज़ी से...
सवालों से टकराती गज़लें :: स्वप्निल श्रीवास्तव
सवालों से टकराती गज़लें स्वप्निल श्रीवास्तव हिन्दी के कतिपय कवि – लेखक अक्सर न लिखने के कारण ढ़ूंढ़ते रहते हैं । कभी मौसम ठीक...
लोकजीवन की सहजता का काव्य-शिल्प : सुशील कुमार
लोकजीवन की सहजता का काव्य-शिल्प सुशील कुमार 'सपनों को मरने मत देना' युवा कवयित्री (डॉ) भावना का काव्य-संग्रह है। भावना बिहार (मुज्जफरपुर) की हैं और...
विशिष्ट कवयित्री : स्वाति शशि
मैं तुमसे मिलना चाहती हूं मैं तुमसे मिलना चाहती हूं सिर्फ़ एक बार मैं जानना चाहती हूं जवाब अपने बहुत सारे सवालों का मैं तुमसे...
ख़ास कलम : अंंजली
तो खुद को किनारा कर लिया दुनियाभर का एकाकीपन हृदय में अपने भर...
विशिष्ट ग़ज़लकार : प्रसन्नवदन चतुर्वेदी
1 बताना है बहुत मुश्किल कि किसमें क्या निकलता है ? नहीं मासूमियत जिसमें वही बच्चा निकलता है यकीं जिसपर किया करते भला अक्सर नहीं...
विशिष्ट कहानीकार : ऋचा वर्मा
ऋण ऋचा वर्मा शहर के इस पांच सितारा होटल का बैंक्वेट हॉल बत्तियों और गुब्बारों से सजा हुआ था। रामरूप सिल्क का कुर्ता और...
विशिष्ट गीतकार : गरिमा सक्सेना
1 प्रिय मल गए गुलाल पतझर-सा यह जीवन जो था क्लांत, दुखद, बेहाल उसमें तुम फागुन-सा आकर प्रिय मल गए गुलाल ग़म को निर्वासित कर...
ग़रीबी देशकाल के अनुसार अपनी परिभाषा बदलती है : शरद कोकास
ग़रीबी देशकाल के अनुसार अपनी परिभाषा बदलती है शरद कोकास गाँधी विद्यालय भंडारा में मिडिल स्कूल में श्री घड़ोले हमें अंग्रेज़ी पढ़ाते थे ৷...