आशा पाण्डेय जी की नज़र से समसामयिक जीवन का कोई भी सिरा छूट नहीं पाता : डॉ भावना

आशा पाण्डेय जी की नज़र से समसामयिक जीवन का कोई भी सिरा छूट नहीं पाता - डाॅ भावना   ग़ज़ल हिन्दी साहित्य की सर्वाधिक लोकप्रिय...

विशिष्ट ग़ज़लकार :: महेश अग्रवाल

1 हो  न  जाएं  ख़ाक ये  सद्भावना   की  बस्तियांँ मज़हबों  की  माचिसों में  नफरतों  की  तीलिया   कुछ हवा कुछ रोशनी कुछ खुशबुएं मिलती रहें,...