विशिष्ट कहानीकार : मधु सक्सेना
वो चालीस मिनिट - मधु सक्सेना तेजी से चला जा रहा था थ्री व्हीलर । उतनी ही तेजी से मीठी के विचार ।आज साथ मिला...
आलेख : संजीव जैन
पारिवारिक विघटन और हिंदी महिला उपन्यासकार पितृसत्तात्मक परिवार की जिस संरचना और स्वरूप को हमने अब तक समझा है उसके संदर्भ में महिला उपन्यासकारों के...
विशिष्ट ग़ज़लकार : ध्रुव गुप्त
1 हद से भी बढ़ जाएंगे तो क्या करोगे चांद पर अड़ जाएंगे तो क्या करोगे इस क़दर आवारगी में दिल लगा है हम कभी...
विशिष्ट गीतकार : ज्ञान प्रकाश आकुल
(1) जितने लोग पढ़ेंगे पढ़कर, जितनी बार नयन रोयेंगे समझो उतनी बार, गीत को लिखने वाला रोया होगा। सदियों की अनुभूत उदासी यूँ ही नहीं...
आलेख : डॉ अनिल कुमार पांडेय
जीवन, प्रकृति और समाज की अभिव्यक्ति : समकालीन हिंदी ग़ज़ल - डॉ. अनिल कुमार पाण्डेय ग़र जमीं पर बाँट देने की हवस बढ़ती रही जंग...
विशिष्ट कहानीकार : तरुण भटनागर
महारानी एक्सप्रेस तारा को छोटी बहन की बातें याद आ रही थीं। जब वे गोवा में थे वह वहाँ की औरतों को देखकर चहक उठती...
विशिष्ट ग़ज़लकार : दिनेश प्रभात
1 पांव को आये न देखो आंच बस्ती में हर तरफ बिखरे हुए हैं कांच बस्ती में क्यों मरी उसके कुएँ में डूबकर औरत चल...
खास कलम : शिवम ‘खेरवार’
वर्जना का दौर, इसमें प्रेम का अध्याय गढ़ना, है कठिन क्या? पर्वतों से हो गए जग के प्रणेता राह में जब, प्रेम की नदिया निकल...
विशिष्ट गीतकार : वीरेन्द्र आस्तिक
सर-सर बहा पवन अकस्मात इस मधुवन में सर-सर बहा पवन तभी देखने में आया इक नटखट मौसम झूम उठी हर टहनी जैसे झूम उठें झूमर...
लघुकथा : मुकुन्द प्रकाश मिश्र
राजधानी एक्सप्रेस - मुकुन्द प्रकाश मिश्र मैं रेलवे स्टेशन पर बैठ कर ट्रेन का इंतजार कर रहा था ।किसी ने कहा ट्रेन हमेशा की तरह...