खास कलम : गरिमा सक्सेना
1 इस सूखे में बीज न पनपे फिर जीवन से ठना युद्ध है पिॆछली बार मरा था रामू हल्कू भी झूला फंदे पर क्या करता...
विशिष्ट कहानीकार : डॉ पूनम सिंह
अनुत्तरित प्रश्न ‘‘पापा , हम मम्मी के पास कब चलेंगे , बताइये न पापा ।’’ रिम्मी के जिस सवाल से राजीव बार-बार बचने का प्रयत्न...
विशिष्ट कवि : राज किशोर राजन
ईश्वर की सर्वोत्तम रचना कितनी अजीब बात है जब उचारा आपने कि मनुष्य, ईश्वर की सर्वोत्तम रचना है तो मुखमंडल आपका दिपदिपाने लगा पर जब...
आलेख : अनिरुद्ध सिन्हा
हिन्दी ग़ज़ल के युवा चेहरे (एक) : संजू शब्दिता जैसा कि कहा गया है युवा मन की ग़ज़लें प्रेम के गलियारे से होकर यथार्थ के...
समकालीन उर्दू हिंदी ग़ज़ल का नया नाम अशोक मिज़ाज बद्र
डॉ हरी सिंह गौर केंद्रीय विश्व विद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा ,समकालीन ग़ज़ल और अशोक मिज़ाज,शीर्षक से परिचर्चा एवं काव्य पाठ का आयोजन किया गया।...
विशिष्ट गीतकार : डॉ बुद्धिनाथ मिश्र
(छोटे बच्चे अक्सर दीवारों पर आड़ी-तिरछी रेखाएँ बनाकर अपनी अद्भुत कलाकारी का इजहार करते हैं. उनके कमासुत माँ -बाप उसे 'दीवार ख़राब' करना मानते हैं...
विशिष्ट कवयित्री : प्रतिभा चौहान
सिलवटें एक दशक पुरानी है चट्टान खामोशी की और खर्च किये जाने से बचा हुआ है धीरज आकाश के पर्दे पर टका हुआ है जगमग...
विशिष्ट गीतकार : संध्या सिंह
चौमासा थोड़ी धूप छुपा कर रखना सीलन का मौसम आना है सागर से विकराल भयानक काले काले दैत्य उठेंगे जहाँ प्रेम की लिखी इबारत ठीक...
आलेख : संतोष सारंग
हिंदी उपन्यासों में ग्रामीण जन-जीवन का चित्रण - संतोष सारंग उत्तर आधुनिकता का लबादा ओढ़े आज का आम आदमी नगरीय तौर-तरीके अपनाने को आकुल...
विशिष्ट ग़ज़लकार : विज्ञान व्रत
1 कुछ नायाब ख़ज़ाने रख ले मेरे अफ़साने रख जिन का तू दीवाना हो ऐसे कुछ दीवाने रख आख़िर अपने घर में तो अपने ठौर-ठिकाने...