खास कलम : मधुकर वनमाली
“बीते साल के संदेश” था कठिन समय,वह बीत गया जो आई एक महामारी थी माना वह विपदा भारी थी कुछ…
“बीते साल के संदेश” था कठिन समय,वह बीत गया जो आई एक महामारी थी माना वह विपदा भारी थी कुछ…
सूरज जो तिमिर मेरे मन बसता है तेरे आने से जाता है उत्साह मेरे इस जीवन का बस सूरज तुम…
नज़्म – रेप शेख फ़रमाते हैं डार्विन झूठा था इंसान कब बंदर था? इंसान तो ऐसा कभी भी नहीं था…
नज़्म कान्हा। तुम्हारी याद में हूं बेकरार मैं, करती हूं लम्हा लम्हा फकत इंतज़ार मै। कहकर गए थे आओगे…
मेरी जागीर ********* मेरी जागीर मेरे इस वतन की हर निशानी है हमारे देश की मैं ही नहीं दुनिया दिवानी…
थोड़ा सा नाराज हूं तुम मिले फिर आज मुझसे, खुश बहुत मै आज हूं। छोड़कर पर क्यूं गये थे,…
ज़हीर अली सिद्दीक़ी की तीन कविताएं नंगे पांव ‘सड़क’ ख़ासा तप रही रास्ते कांटें भरे नंगे पांव चल पड़े मंज़िल…
1 दर्द से, रंज से, तकलीफ़ से हलकान हैं हम, इतनी आबादी में रहते हुए वीरान हैं हम। इन…
.1 जब चमकने लगा क़िस्मत का सितारा मेरा खुद बखुद बनने लगे लोग सहारा मेरा आप को चाँद सितारों…
1 कह दे कोई मौसम से हम प्रेम की वफ़ा लिखते हैं आता जाता रहे वह यूं हीं मेरी जिंदगी…