विशिष्ट ग़ज़लकार :: रमेश चन्द्र गोयल ‘प्रसून’
1 आँखों की तस्वीर अलग है आँसू की तस्वीर अलग अपना-अपना हिस्सा सबका है सबकी तक़दीर अलग प्यार किया हो…
1 आँखों की तस्वीर अलग है आँसू की तस्वीर अलग अपना-अपना हिस्सा सबका है सबकी तक़दीर अलग प्यार किया हो…
1 अपने मित्रों के लेखे- जोखे से हमको अनुभव हुए अनोखे -से हमने बरता है इस ज़माने को तुमने देखा…
1 कब तलक मुर्दा बने सोते रहोगे ज़िंदगी की लाश को ढोते रहोगे हाथ पर धर हाथ यदि बैठे रहे…
1 पीते न सब जनाब हैं ये इश्क़ की शराब क्या हम हो गये ख़राब क्यों हमने किया ख़राब क्या…
1 बताना है बहुत मुश्किल कि किसमें क्या निकलता है ? नहीं मासूमियत जिसमें वही बच्चा निकलता है यकीं जिसपर…
1 दर्द का इतिहास है हिन्दी ग़ज़ल एक शाश्वत प्यास है हिन्दी ग़ज़ल प्रेम, मदिरा, रूप की बातें भरी अब…
1 हमें अक्सर ये दुनिया अजनबी मालूम होती है बड़ी ही अनमनी सी ज़िंदगी मालूम होती है तबस्सुम …
माँ ब्रह्मजीत गौतम उम्र अधिक है, तन जर्जर है माँ फिर भी सबसे सुंदर है माँ से ही घर होता…
ग़ज़ल पंकज सिद्धार्थ माँ अपनी संतान के सर पर आँचल को फैलाती है धूप में शीतल छाया देकर सुख उसको…
ग़ज़ल डॉ. अफ़रोज़ आलम ऐ मां मुझे करनी है सिफ़त तेरी रक़म आज हैरान है मेरी अक़्ल, परेशान है क़लम…