विशिष्ट गजलकार:: अभिषेक कुमार सिंह
अभिषेक कुमार सिंह की पाँच ग़ज़लें 1. माँ की जब भी शॉल डाली जाएगी सर्दियों की चोट खाली जाएगी हम मजूरों को ठिठुरना है सदा हाँ ! कभी बीड़ी जला…
अभिषेक कुमार सिंह की पाँच ग़ज़लें 1. माँ की जब भी शॉल डाली जाएगी सर्दियों की चोट खाली जाएगी हम मजूरों को ठिठुरना है सदा हाँ ! कभी बीड़ी जला…
डॉ सुनील कुमार शर्मा की ग्यारह ग़ज़लें मुझे पहले यूँ लगता था सहारा चाहिए मुझको मुझे पहले यूँ लगता था सहारा चाहिए मुझको मगर अब जा के समझा हूँ…
आशा पाण्डेय ओझा ‘आशा’ की पांच ग़ज़लें 1 कौनसी क़िताब है सांस-सांस ज़िंदगी ढूँढती ज़वाब है सांस-सांस ज़िंदगी किस तरफ़ घटे-बढ़े, चल सका पता नहीं कौनसा हिसाब है सांस-सांस…
अमर पंकज की छह ग़ज़लें 1 काश किस्मत की लकीरों से चुराता मैं उसे, साथ साया सा हमेशा पास पाता मैं उसे। है मुहब्बत ही दवा हर ज़ख़्म की ये…
ओम प्रकाश यती की पांच ग़ज़लें 1 जब आएगा कभी ये वक़्त आपदा बनकर रहेंगे दोस्त मेरे साथ हौसला बनकर किसी की पूजा से वह क्यों बचे सियासत में न…
प्रेम किरण की दस ग़ज़लें 1 नफ़रत ही रह गयी है मुहब्बत चली गयी घर से हमारे रूठ के बरकत चली गयी हम भी ख़ुशी के नाज़ उठाते कहां तलक…
सुशील साहिल की पांच ग़ज़लें 1 चराग़े-ज़ीस्त का साया सफ़र में निकला है मेरे वजूद का आधा सफ़र में निकला है नज़र से खींच के तूफ़ाँ की सारी तस्वीरें…
दिनेश तपन की ग़ज़लें 1 धन दौलत संजोते रह गए पाप उमर भर ढोते रह गए थी ख़ुशियों की जिन्हें तमन्ना वे ही सब दिन रोते रह गए …
रमेश कँवल की छह ग़ज़लें 1 बदला बदला सा है मेरा दफ़्तर रूप सज्जा में है नया दफ़्तर बायोमेट्रिक से लोग आते हैं सीसीटीवी लगा हुआ दफ़्तर लैपटॉपों…
मधुवेश जी की 230 शेरों की लंबी ग़ज़ल का कुछ अंश ग़ज़ल : बहुत पहले न मोटर थी न बाइक थी न रिक्शा था बहुत पहले सफ़र पैदल किया…