लघुकथा :: चित्तरंजन गोप ‘लुकाठी’

एक ठेला स्वप्न –  चित्तरंजन गोप ‘लुकाठी‘ आज खूब ठूंस-ठूंसकर खाना खा लिया था। पेट भारी हो गया था। इसलिए पलंग पर लेट गया। लेटे-लेटे खिड़की से बाहर का नजारा…

पिता की विह्वलता :: डॉ. विद्या चौधरी

पिता की विह्वलता डॉ. विद्या चौधरी रामलखन बाबू ने अपनी ग्रेजुएट बेटी लक्ष्मी की शादी बहुत समझ-गबुझ कर खानदानी घर एवं अच्छे ओहदे वाले लड़के से किया | एक साल…