लघुकथा :: सुरेश सौरभ
सुरेश सौरभ की दो लघुकथाएं धुंध भाई इंस्ट्राग्राम में मशगूल था। अचानक सामने आये एक वीडियो को देखकर उसकी आँखें फटी की फटी रह गयीं। अरे! यह क्या? यह तो…
सुरेश सौरभ की दो लघुकथाएं धुंध भाई इंस्ट्राग्राम में मशगूल था। अचानक सामने आये एक वीडियो को देखकर उसकी आँखें फटी की फटी रह गयीं। अरे! यह क्या? यह तो…
दादा जी की टॉफियां सुजाता प्रसाद आशु और अवनि दादा जी के साथ खेल रहे थे। आशु दादा जी को गेंद कैच करवाता और दादा जी अवनि को। बच्चों के…
अकेलापन – शंभुनाथ मिस्त्री पड़ोस के दयाल का बुलावा बहुत अचम्भित करने वाला तो न था ; किन्तु इस तरह दयाल विरले ही कभी बुलाता था। दरवाजे से प्रवेश करते…
एक ठेला स्वप्न – चित्तरंजन गोप ‘लुकाठी‘ आज खूब ठूंस-ठूंसकर खाना खा लिया था। पेट भारी हो गया था। इसलिए पलंग पर लेट गया। लेटे-लेटे खिड़की से बाहर का नजारा…
इंटरनेट वाला प्यार सुभाषिनी कुमार कई बार ऐसा होता है कि हमारी खुशी हमारे आस पास ही होती है लेकिन वो हमें दिखती नहीं। मैं बा शहर के एक छोटे…
निवेदिता रश्मि की दो लघुकथाएं किताबें और झुमकें! इससे बेहतर उपहार भला क्या होगा! जब किसी को हम कुछ देते हैं तो बस उसका एक जी अर्थ होता है कि…
डॉ.सतीश चंद्र भगत की दो लघुकथाएं दहेज की बलि चढ़ने से बच गई जब रोज-रोज पड़ोसी के घर से लड़ाई के स्वर सुनकर विजय का मन खिन्न हो गया.…
पिता की विह्वलता डॉ. विद्या चौधरी रामलखन बाबू ने अपनी ग्रेजुएट बेटी लक्ष्मी की शादी बहुत समझ-गबुझ कर खानदानी घर एवं अच्छे ओहदे वाले लड़के से किया | एक साल…
मधुकर वनमाली की दो लघुकथायें जोतिया-ढोरिया उस का नाम जोतिया था, और बेटी का ढोरिया। सब्जी की टोकरी लिए भोर में ही टोले में आ जाती। मां के चूल्हे के…
सुरेखा कादियान ‘सृजना’ की दो लघुकथाएं सृजना “राज आँटी एक चाय ले के आना” वैष्णवी ने स्टाफ रूम में आते ही चाय के लिए बोला और थकी सी सर पकड़कर…