लघुकथा :: शंभुनाथ मिस्त्री
अकेलापन - शंभुनाथ मिस्त्री पड़ोस के दयाल का बुलावा बहुत अचम्भित करने वाला तो न था ; किन्तु इस तरह दयाल विरले ही कभी बुलाता...
लघुकथा :: चित्तरंजन गोप ‘लुकाठी’
एक ठेला स्वप्न - चित्तरंजन गोप ‘लुकाठी‘ आज खूब ठूंस-ठूंसकर खाना खा लिया था। पेट भारी हो गया था। इसलिए पलंग पर लेट गया। लेटे-लेटे...
लघुकथा :: सुभाषिणी कुमार
इंटरनेट वाला प्यार सुभाषिनी कुमार कई बार ऐसा होता है कि हमारी खुशी हमारे आस पास ही होती है लेकिन वो हमें दिखती नहीं। मैं...
निवेदिता रश्मि की दो लघुकथाएं
निवेदिता रश्मि की दो लघुकथाएं किताबें और झुमकें! इससे बेहतर उपहार भला क्या होगा! जब किसी को हम कुछ देते हैं तो बस उसका एक...
लघुकथा :: डॉ.सतीश चंद्र भगत
डॉ.सतीश चंद्र भगत की दो लघुकथाएं दहेज की बलि चढ़ने से बच गई जब रोज-रोज पड़ोसी के घर से लड़ाई के स्वर सुनकर विजय...
पिता की विह्वलता :: डॉ. विद्या चौधरी
पिता की विह्वलता डॉ. विद्या चौधरी रामलखन बाबू ने अपनी ग्रेजुएट बेटी लक्ष्मी की शादी बहुत समझ-गबुझ कर खानदानी घर एवं अच्छे ओहदे वाले लड़के...
लघुकथायें :: मधुकर वनमाली
मधुकर वनमाली की दो लघुकथायें जोतिया-ढोरिया उस का नाम जोतिया था, और बेटी का ढोरिया। सब्जी की टोकरी लिए भोर में ही टोले में आ...
लघुकथाएं :: सुरेखा कादियान ‘सृजना’
सुरेखा कादियान 'सृजना' की दो लघुकथाएं सृजना "राज आँटी एक चाय ले के आना" वैष्णवी ने स्टाफ रूम में आते ही चाय के लिए बोला...
सुरेश सौरभ की दो लघुकथाएं
ईश्वर के लिए उसे समझा-समझा, पक चुके थे, पर वह न मानता, कहता-बच्चे ईश्वर की देन हैं। नौंवीं संतान को जन्म देते वक्त जब उसकी...
लघुकथा :: डॉ. सतीश चन्द्र भगत
उसकी व्यथा -डॉ. सतीश चन्द्र भगत अजीत ने अपने मित्र संजय से कहा-" बहुत मुश्किल है आज के जमाने में सत्य...