विशिष्ट गीतकार : जय कृष्ण राय तुषार

एक गीत-ये हमारे प्रान बहुत मुश्किल से हवा में लहलहाते धान ये नहीं हैं धान , प्यारे ये हमारे प्रान ! जोंक पांवों में लिपटकर...

विशिष्ट गीतकार : डॉ. राम वल्लभ आचार्य

1 मन में इतनी उलझन मन में इतनी उलझन जितने सघन सतपुड़ा वाले वन, हल्दीघाटी हुई जि़ंदगी चेरापूंजी हुए नयन । जयपुर जैसे लाल गुलाबी...

विशिष्ट गीतकार : डॉ बुद्धिनाथ मिश्र

(छोटे बच्चे अक्सर दीवारों पर आड़ी-तिरछी रेखाएँ बनाकर अपनी अद्भुत कलाकारी का इजहार करते हैं. उनके कमासुत माँ -बाप उसे 'दीवार ख़राब' करना मानते हैं...

विशिष्ट गीतकार : पूर्णिमा वर्मन

अमलतास डालों से लटके आँखों में अटके इस घर के आसपास गुच्छों में अमलतास झरते हैं अधरों से जैसे मिठबतियाँ हिलते है डालों में डाले...

विशिष्ट गीतकार : कृष्णा बक्षी

1 कभी   क़ुहरा कभी  बादल खुले  मौसम  अगर  तो धूप   आये   आंगने  में ।भँवर  से  कश्तियाँ   बाहर कोई      कैसे       निकाले लहर    बैठी     हुई      है मोर्चे       ...