विशिष्ट गीतकार : अवनीश त्रिपाठी
दिन कटे हैं धूप चुनते रात कोरी कल्पना में दिन कटे हैं धूप चुनते। प्यास लेकर जी रहीं हैं आज समिधाएँ नई कुण्ड में पड़ने...
विशिष्ट गीतकार : रंजन कुमार झा
(1) पथिक बनो दीये खुद पथ के वर्ना हरसू अंधकार है वज्र इरादों के शोलों सँग दीवाली हर निशा मनाओ पथ दुर्गम में पड़ी शिलाएँ...
विशिष्ट गीतकार : जय कृष्ण राय तुषार
एक गीत-ये हमारे प्रान बहुत मुश्किल से हवा में लहलहाते धान ये नहीं हैं धान , प्यारे ये हमारे प्रान ! जोंक पांवों में लिपटकर...
विशिष्ट गीतकार : किशन सरोज
1 धर गये मेंहदी रचे दो हाथ जल में दीप जन्म जन्मों ताल सा हिलता रहा मन बांचते हम रह गये अन्तर्कथा स्वर्णकेशा गीतवधुओं की...
विशिष्ट गीतकार : राहुल शिवाय
तुम मिले तुम मिले तो मिट गई है पीर इस तन की चढ़ गई है होठ पर अब बांसुरी मन की हम खड़े थे कबसे...
विशिष्ट गीतकार : डॉ. राम वल्लभ आचार्य
1 मन में इतनी उलझन मन में इतनी उलझन जितने सघन सतपुड़ा वाले वन, हल्दीघाटी हुई जि़ंदगी चेरापूंजी हुए नयन । जयपुर जैसे लाल गुलाबी...
विशिष्ट गीतकार : डॉ बुद्धिनाथ मिश्र
(छोटे बच्चे अक्सर दीवारों पर आड़ी-तिरछी रेखाएँ बनाकर अपनी अद्भुत कलाकारी का इजहार करते हैं. उनके कमासुत माँ -बाप उसे 'दीवार ख़राब' करना मानते हैं...
विशिष्ट गीतकार : संध्या सिंह
चौमासा थोड़ी धूप छुपा कर रखना सीलन का मौसम आना है सागर से विकराल भयानक काले काले दैत्य उठेंगे जहाँ प्रेम की लिखी इबारत ठीक...
विशिष्ट गीतकार : पूर्णिमा वर्मन
अमलतास डालों से लटके आँखों में अटके इस घर के आसपास गुच्छों में अमलतास झरते हैं अधरों से जैसे मिठबतियाँ हिलते है डालों में डाले...
विशिष्ट गीतकार : कृष्णा बक्षी
1 कभी क़ुहरा कभी बादल खुले मौसम अगर तो धूप आये आंगने में ।भँवर से कश्तियाँ बाहर कोई कैसे निकाले लहर बैठी हुई है मोर्चे ...