सोपान
तोड़कर अपार अनंत से, अनाम सा फूल कोई
बेनाम सा फूल कोई
बदनाम सा फूल कोई
कि मादक है खुशबू उसकी
बेहोश करती है
बुलाती है चर, अचर, निशाचरों को
डंसती है खुशबू उसकी
जंगली है
तोड़कर ऐसा कोई वनैला फूल
स्वागत दिन का, या कि बिछना खुद
बनकर सेज, असीम आकाश में
चढ़कर अदृश्य सोपान।
चौराहा
उस खनकती हुई धूप में
जहाँ दिल है मेरा
और जख्मी भी
इतना निरंतर है वार उनका
सबका, हर किसी का
चौराहा इतना खूबसूरत
कि जान दी जा सकती थी
अब भी दी जा सकती है
अगर यही मंज़ूर तुम्हे
अगर जान ही मेरी चाहते हो तुम
तो उस चौराहे पे मारना मुझे
मेरे घर से निकलकर
पड़ने वाली पहली लाल बत्ती का चौराहा
सब कुछ शुरू होता है वहां से।
वो एक ऐसा पड़ाव था
वो एक ऐसा पड़ाव था
जहाँ धूप से छाँव मिलती थी
रेत से बचाव
पर विषधर छिपते थे वहां
चोर, डाकुओं, का अड्डा था वहां
उचक्कों, शैतानो का डेरा
आंधी आती थी पलक झपकाने से उसके
बर्फ गिरती थी, पलक झपकाने से उसके
शैतान इकट्ठे होते थे, पलक झपकाने से उसके
पलक झपकाने से उसके
जिन्नात उसके सताते थे
राहगीरों को, शरणार्थियों को
फिर भी
वो एक ऐसा पड़ाव था
जहाँ कहा जा सकता था
जहाँ की जा सकती थी
शिकायत दर्ज
उसके फरमाबरदारों के खिलाफ
पलक झपकाते देखना उसे
राहत थी
रेशमी चवरों से घिरा
वह दुनिया की बहुत ऊँची तख़्त पर बैठा था
कुछ इस तरह ताक़तें स्थापित थीं उसमे
कि देखने से उसे आराम मिलता था ।
फिर से प्लेटें, तश्तरी
फिर से प्लेटें, तश्तरी, कटोरी, चम्मच
मेजपोश, मेज सजाना
कशीदा बिछाना
मेहमान नवाज़ी, दस्तर खान
ख़ास पकवान
उठाते छुरी काँटा
ख्याल उसका ऐसे
कैसे
कि एक बार फिर से
शुरू से
दुबारा मिली हो ज़िन्दगी
फिर से पर बल इतना
कि माफ़ कर गलतियाँ तुम्हारी
दूसरा मौका
तडपा कर, भूखा तुम्हें
देकर नहीं तुम्हें कोई भी नौकरी
इनकार कर हर दर पर
साबित कर नौकरी के शाब्दिक अर्थ
साबित कर मलिकाना
दर किनार कर नौकरी पेशा सभ्यता का उदय
फर्राहट नौकरी करने वालों की
कि मर्ज़ी है सब
सब मलिकाना।