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विशिष्ट गीतकार :: कुँअर उदय सिंह अनुज
फसलों-सा कट जाओ जैसे मुस्कातीं हैं सुबहें, वैसे तुम मुस्काओ। बहो हवा-सा रिश्तों में तुम, पेड़ों जैसा झूमों। पत्थर भी हों राहों में तो, लहरें बनकर चूमों। समय परोसे गर…

विशिष्ट गीतकार : रविशंकर मिश्र
नज़र लग गयी घायल है, चोट किधर किधर लग गयी, सोने की चिड़िया की फिकर लग गयी। हौसला गज़ब का था गज़ब की उड़ान एक किये रहती थी धरा आसमान…

विशिष्ट गीतकार :: हरिनारायण सिंह ‘हरि’
1 बहुएँ-बेटे आये घर गुलजार हो गया ! आँगन खिल-खिल बच्चों से इस बार हो गया ! अधिक रौशनी दीपों में दिख रहा बंधु है पुलकित होता रह-रह कर हृद-प्यार…