विशिष्ट गीतकार : मंजू लता श्रीवास्तव

धन्य ये प्राण हो गए

हाट हुए

हैं बंद

घाट सुनसान हो गए

जीवन के

अवरुद्ध सभी

अभियान हो गए

 

था स्वतंत्र अब तक यह जीवन

अपनी शर्तों पर ही चलता

समय अचानक ऐसा बदला

अब अनुशासन में ही पलता

 

एक अजाने

भय से

सब हलकान हो गए

जीवन के

अवरुद्ध सभी

अभियान हो गए

 

हाथ मिलाना बंद,कहीं भी

आना जाना बंद हो गया

रेलिंग,कुर्सी,गेट,आयरन

छूने पर प्रतिबंध हो गया

 

जीवन शैली

के निश्चित

प्रतिमान हो गए

जीवन के

अवरुद्ध सभी

अभियान हो गए

 

बाहर की आपाधापी में

बिखर गया था मानव का मन

भौतिकता के दुष्प्रभाव में

भूल गया था फुर्सत के क्षण

 

खुद से

करके बात

धन्य ये प्राण हो गए

जीवन के

अवरुद्ध सभी

अभियान हो गए

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परिचय : साहित्य की विभिन्न विधाओं में लेखन

 

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