विशिष्ट ग़ज़लकार : हरेराम समीप
1 काम जिनके अमीर जैसे हैं देखने में कबीर जैसे हैं रास्ते ये लकीर जैसे हैं और हम सब फ़कीर जैसे हैं एक झोंके की उम्र है अपनी खुशबुओं के…
1 काम जिनके अमीर जैसे हैं देखने में कबीर जैसे हैं रास्ते ये लकीर जैसे हैं और हम सब फ़कीर जैसे हैं एक झोंके की उम्र है अपनी खुशबुओं के…
1 इस सूखे में बीज न पनपे फिर जीवन से ठना युद्ध है पिॆछली बार मरा था रामू हल्कू भी झूला फंदे पर क्या करता इक तो भूखा था दूजा…
अनुत्तरित प्रश्न ‘‘पापा , हम मम्मी के पास कब चलेंगे , बताइये न पापा ।’’ रिम्मी के जिस सवाल से राजीव बार-बार बचने का प्रयत्न करता है वही सवाल करके…
ईश्वर की सर्वोत्तम रचना कितनी अजीब बात है जब उचारा आपने कि मनुष्य, ईश्वर की सर्वोत्तम रचना है तो मुखमंडल आपका दिपदिपाने लगा पर जब कहा मैंने कि ईश्वर, मनुष्य…
हिन्दी ग़ज़ल के युवा चेहरे (एक) : संजू शब्दिता जैसा कि कहा गया है युवा मन की ग़ज़लें प्रेम के गलियारे से होकर यथार्थ के धरातल पर उतरती हैं।नवलेखन के…
डॉ हरी सिंह गौर केंद्रीय विश्व विद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा ,समकालीन ग़ज़ल और अशोक मिज़ाज,शीर्षक से परिचर्चा एवं काव्य पाठ का आयोजन किया गया। इसमें मुख्य वक्ता के रूप…
(छोटे बच्चे अक्सर दीवारों पर आड़ी-तिरछी रेखाएँ बनाकर अपनी अद्भुत कलाकारी का इजहार करते हैं. उनके कमासुत माँ -बाप उसे ‘दीवार ख़राब’ करना मानते हैं और बच्चे को डांट -फटकार…
सिलवटें एक दशक पुरानी है चट्टान खामोशी की और खर्च किये जाने से बचा हुआ है धीरज आकाश के पर्दे पर टका हुआ है जगमग संसार तुमसे मांगना है सारे…