विशिष्ट कहानीकार :: डॉ.पूनम सिंह
भँवर डॉ पूनम सिंह ‘‘मेल चाइल्ड —- नो, इट्स फिमेल।’’ सास ने जानना चाहा था तो फेमिली डॉक्टर भारती भारद्वाज ने बहुत ही सहजता से कह दिया था। साथ ही…
भँवर डॉ पूनम सिंह ‘‘मेल चाइल्ड —- नो, इट्स फिमेल।’’ सास ने जानना चाहा था तो फेमिली डॉक्टर भारती भारद्वाज ने बहुत ही सहजता से कह दिया था। साथ ही…
स्त्री प्रेम की मार्मिक कथा कुलक्षिणी डॉ.भावना कुलक्षिणी उपन्यास हरिश्चंद्र दास का महत्वपूर्ण उपन्यास है, जो आर पब्लिकेशन मुंबई से छप कर आया है। इस पुस्तक को महाराष्ट्र साहित्य अकादमी…
अपने समय को समझने का महत्वपूर्ण दस्तावेज है जब थम गई दुनिया डॉ.भावना ‘जब थम गई दुनिया’ सुजीत वर्मा का सद्य: प्रकाशित उपन्यास है, जो सर्व भाषा प्रकाशन, नई दिल्ली…
दोहे :: महानगरीय समस्याएँ जयप्रकाश मिश्र नंगेपन की दौड़ में, महानगर है आज। बिना शर्म की नग्नता, फिर भी करती नाज।।1।। भीड़-भाड़ की जिन्दगी, मिलता ट्रैफिक जाम। घुटन…
दोहे – के. पी. अनमोल जब-तब इसके वास्ते, युद्ध हुए अनमोल। नक़्शा रोटी का मगर, रहा हमेशा गोल।। ***** तन की सुंदरता जगत, करता है स्वीकार। मन की सुंदरता लिये,…
रंजना गुप्ता के तीन गीत नदी की पीड़ा तुम क्या जानो पीर नदी की कितनी बार सिसक कर रोई जंगल जंगल घाटी घाटी चलती रही कभी न सोई …
फज़लुर रहमान हाशमी की ग़ज़लों में अध्यात्म और दर्शन …
डॉ.सतीश चंद्र भगत की दो लघुकथाएं दहेज की बलि चढ़ने से बच गई जब रोज-रोज पड़ोसी के घर से लड़ाई के स्वर सुनकर विजय का मन खिन्न हो गया.…
प्रमोद झा की चार कवितायें आखिरी चीख पत्थर की जमीन, जंगल के आत्यन्तिक कटने से बेहद आक्रोशित आदिवासी युवक शहरी चाल चरित्र औ चेहरो पर बडे हिकारत के भाव…
हाज़िर और ज़ाहिर गज़लें : मधु सक्सेना इस दुनिया में सबकी अपनी अपनी नज़र होती है और अपना अपना नज़रिया ..कोई देख के चुपचाप आगे बढ़ जाता है ,कोई कुछ…