मौन को शब्द देने की संवदेशीलता मौत का जिंदगीनामा :: मनीष शुक्ला

मौन को शब्द देने की संवदेशीलता मौत का जिंदगीनामा मनीष शुक्ला कहते हैं कि स्त्री, संवेदनशीलता का ईश्वर द्वारा दिया गया सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है। और उस पर यदि वह रचनाकार…

कला में चिंतन का दृष्टि बोध :: डा.अफ़रोज़ आलम

कला में चिंतन का दृष्टि बोध डा.अफ़रोज़ आलम   एक बुकलेट के रूप में अपने सुंदर कलेवर में आकर्षित करती है ये छोटी सी पुस्तक। इसके अंदर की सामग्री में…

विशिष्ट कवयित्री :: निर्देश निधि

 सुनो स्त्रियों  आज महालया का शुभ दिन है और आज तुम्हारे नयन सँवारे जाने हैं   तुम्हें कह दिया गया था सभ्यताओं के आरम्भिक दौर में ही यत्र नार्यस्तु पूज्यंते…

विशिष्ट कहानीकार :: डाॅ. सुशांत कुमार

लॉकडाउन – डाॅ. सुशांत कुमार मुनिया के बियाह वैशाख में बा, एहि ख़ातिर एकर बाबू दिल्ली कमाए गेल रहनए बिना दाना.पानी के दू दिन से घर में बंद बारन। पता…

विशिष्ट ग़ज़लकार : नीलम श्रीवास्तव

1 हमें अक्सर  ये  दुनिया  अजनबी  मालूम  होती है बड़ी   ही  अनमनी  सी  ज़िंदगी   मालूम  होती  है   तबस्सुम    में  भी  कोई  बेबसी   मालूम  होती  है निगाहों   में   सिसकती …

विशिष्ट गीतकार : मनीष कुमार झा

1 मन मरुथल तन हुआ कैक्टस देख अजब दुनियाँ की रीत ऐसी भावदशा में कोई कैसे लिखे सुहावन गीत आफत आयी, उठा बवंडर भीतर संशय और भरा डर कजरी, मेघ-मल्हार…

विशिष्ट ग़ज़लकार :: ब्रह्मजीत गौतम

माँ ब्रह्मजीत गौतम उम्र अधिक है, तन जर्जर है माँ फिर भी सबसे सुंदर है माँ से ही घर होता घर है वरना तो केवल खँडहर है ममता, प्रेम, दया,…

विशिष्ट ग़ज़लकार :: पंकज सिद्धार्थ

ग़ज़ल पंकज सिद्धार्थ  माँ अपनी संतान के सर पर आँचल को फैलाती है धूप में शीतल छाया देकर सुख उसको पहुँचाती है आशीर्वाद के फूल निछावर उसपर करती रहती है…

कहां गुम हो गई :: बबीता गुप्ता

कहां गुम हो गई… बबीता गुप्ता  आत्मविश्वास से ओत-प्रोत होकर भी उन्होने अपना जीवन एक पिंजरे में कैद पंछी की तरह व्यतीत किया.वो समाज की ही नहीं,परिवार की परंपरावादी व…