ख़ास कलम :: सीमा शर्मा मेरठी
ग़ज़ल सीमा शर्मा मेरठी 1 ये जुगनू ,चाँद ,सूरज, रौशनी क्या, तुम्हारे बिन हमें देंगे ख़ुशी क्या लड़कपन पर…
ग़ज़ल सीमा शर्मा मेरठी 1 ये जुगनू ,चाँद ,सूरज, रौशनी क्या, तुम्हारे बिन हमें देंगे ख़ुशी क्या लड़कपन पर…
वो औरत… – डॉ. सोनी थके पांव.. मुरझाया चेहरा.. सूखे होंठ.. आंखों में छुपा.. वह दर्द गहरा.. फिर…
सपना मंजुल भावका – नंद कुमार आदित्य सिलसिला आपकी …
फागुनी दोहे – जयप्रकाश मिश्र होली दस्तक दे रही, प्रेम, नेह, अनुराग। क्यों यौवन में…
बरसाणे की बावरी बरसाणे की बावरी,राधा सुंदर नाम। धवल सरीखी दूध जो,मीत मिला घनश्याम।। वनमाली यह सोचते,अलग हुआ जो रंग।…
शारदे वर देना – मधुकर वनमाली बुद्धि नहीं कोई हर पाए बस यही शारदे वर…
तुम्हें मेरा नाम याद आ जाये मैं तुझसे बात नहीं करता इसका मतलब यह नहीं कि तुम्हें याद नही करता..…
मां – रेखा दुबे कितना सुंदर रूप तुम्हारा जैसे गंगा जल की धारा , शान्त , शाश्वत ,रूप बेल सा…
ग़ज़ल 1 अब न संभले हम यहां तो जलजला हो जाएगा आदमी से आदमी का फासला हो जाएगा क्यों…