आदमियों के जंगल में सांप की मौत
(हास्य व्यंग्य)
-सुरेश सौरभ
सांपों के जंगल में एक सभा चल रही थी। एक सांपिन फूट-फूट कर रोए जा रही थी, तभी मुखिया सांप बोला-बड़े दुख की बात है कि हमारा भोला सांप मर गया । वह अभी युवा था, कैसे मरा यह मेरी समझ से बाहर है, इसकी तफ्तीश के लिए आज यह सभा बुलाई गई है, कोई बता सकता है कि मरने से पहले भोला सांप कहां गया था, तभी भोला की पत्नी सांपिन बोली-कल पूरब वाले मैदान की तरफ गए थे।’
तब एक बुजुर्ग सांप बोला-कल तो मुझे भोला ठीक-ठाक मिला था, कह रहा था वह नगर की तरफ टहलने जा रहा है। तब मुखिया ने रोते हुए सांपिन से पूछा-जब नगर से भोला लौटा तब तुमसे कुछ बता रहा था। सांपिन ने रूंधे गले से कहा-मुझसे कह रहे थे कि चलते-चलते वह एक आदमियों के बड़े जंगल में पहुंच गए थे, उस जंगल में एक किलेनुमा पहाड़ पर चढ़ गए, जहां बहुत लोग इकट्ठा थे, उन लोगों की हरकतों तथा शोरगुल से वह परेशान होने लगे तब अचानक किसी आदमी के दबाव पड़ने, पर उसके पैर में काट लिया, तभी वहां हड़कंप मच गयी, किसी तरह वह बच के चले आए और रात में सोते-सोते मर गये। तब दूसरा बुजुर्ग नाग बोला-मेरी समझ में आ गया। माजरा क्या है। भोला ने जरूर किसी नेता को काटा होगा। कल मैं एक दूसरे जंगल में गया था, वहां भी इससे मिलता-जुलता केस आया था, एक सांप ने एक नेता को काटा था और वह सांप मर गया। तब मुखिया सांप बोला-चाचा आप कहना क्या चाहते हैं।
बुजुर्ग नाग ने उदास होकर कहा-भोला ने जरूर किसी नेता के काटा होगा इसलिए वह मर गया। अब सारे सांप हैरत से एक-दूसरे का मुंह ताकने लगे। और सभा में घना सन्नाटा पसर गया। तब बुजुर्ग नाग बोला-हम सांपों में यह खूबी है जब तक किसी का दबाव न पड़े या कोई जब तक हमें परेशान न करें, तब तक हम उसे नहीं काटते, लेकिन जहां नेता हो, वहां कोई नेता ऐसा गलती से या जान-बूझकर कर दे, तो वहां से चुपचाप खिसक लेने में ही हमारी भलाई है। तभी एक युवा सांप बोला-इसकी पहचान कैसे हो यह बताने की कृपा करें महाशय। तब बुजुर्ग नाग ने उसका उत्तर दिया, ‘जो बात करते समय हमेशा यह कहे, हम जनता के सेवक हैं। हम जनता के लिए यह करेंगे, जनता के लिए वह करेंगे, हम जनता के लिए संघर्ष करेंगे, हम जनता को मुफ्त आनाज देंगे। मुफ्त बिजली देंगे। मुफ्त पानी देंगे। हम जनता के अच्छे दिन लायेंगे। जनता को आत्म निर्भर बनायेंगे, तो यह समझ लेना चाहिए कि वहां कोई नेता ही है।” बुजुर्ग नाग की बातें सभी एकाग्रता से सुन रहे थे, गुन रहे थे।
सभा के अंत में मुखिया सांप ने सबको सचेत करते हुए कहा-आप सभी से मेरा निवेदन है, नेता नाम के जन्तु से बचकर रहे। जब नेता को काटने पर सांप मर जातें हैं, तब नेता लोगों का विकास कैसे करतें हैं, कैसे लोगों का भला करते हैं यह मेरी समझ से परे है, पर आज की सभा में यह जानकारी मिल गई कि विषैले नेताओं से दूर रहने में ही हमारी भलाई है।
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परिचय : सुरेश सौरभ की कहानियां निरंतर पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती है
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