कल एक नर्स की मासूम बच्ची और एक पुलिस के मासूम बच्चे को माता-पिता के लिए तड़पते देखकर मन बहुत भावुक हो गया।महामारी से लड़ रहे ऐसे सभी डाक्टरों, नर्सों, स्वास्थ्यकर्मियों, पुलिस,प्रशासन,मीडियाकर्मियों
और सफाईकर्मियों के लिए उसी मन:स्थिति में लिखा गया एक गीत-
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तुम्हारी कोशिशों से ज़िन्दगी की जंग जारी है,
तुम्हारे दम से ही ख़ुशहाल यह दुनिया हमारी है।
लगा दी तुमने अपनी ज़िन्दगी इस देश की ख़ातिर,
है घर-परिवार सब छोड़ा, सुखद परिवेश की ख़ातिर,
कहीं रोता हुआ बेटा, कहीं बेटी दुलारी है।
तुम्हीं हो अस्पतालों में, तुम्हीं बाज़ार-सड़कों पर,
डटे हो देवदूतों- से, खरे सब की उमीदों पर,
तुम्हारे त्याग, सेवा-धर्म की दुनिया पुजारी है।
तुम अपने घर से बाहर हो,तो हम घर में सुरक्षित हैं,
तुम्हारे धैर्य, निष्ठा, शौर्य से हम लोग रक्षित हैं,
तुम्हीं पर अब टिकी इस देश की उम्मीद सारी है
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परिचय :
प्रकाशन : ग़ज़ल संग्रह – बंजारे नयन, रोशनी खतरे में है, रोशनी की कोपलें, अच्छा लगता है, मशालें फिर जलाने का समय है, तेरी आँखें बहुत बोलती हैं
कविता-संग्रह– स्वप्न के बाद, गीत-संग्रह – बेटियों के पक्ष में,
स्थायी पता : 204/11, राजेन्द्र अपार्टमेंट्स, रोहित नगर (नरिया), वाराणसी–221005
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