हमारा देश 15 अगस्त को अपना 74 वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है ।कोविड-19 की इस त्रासदी के बीच मनाया जा रहा यह स्वतंत्रता दिवस पहली बार सोशल डिसटेंसिंग, चेहरे पर मास्क के साथ मनाया जाएगा। विद्यालयों में बच्चे डिजिटल क्रांति के माध्यम से झंडात्तोलन में शामिल होंगे ।झंडोत्तोलन की महीनों से हो रही तैयारियां भले ही कोरोना वायरस की भेंट चढ़ गई हों पर ,उत्साह अपने चरम पर है ।ऑनलाइन प्रतियोगिता, लाइव कविता पाठ के साथ-साथ कई महत्वपूर्ण आयोजन इंटरनेट के माध्यम से हो रहे हैं। शहर और कस्बे में सिमटे बच्चे ऑनलाइन प्रतियोगिता के द्वारा देश स्तर पर आयोजित होने वाली प्रतियोगिताओं के हिस्सा भी बन रहे हैं, जो अत्यंत हर्ष की बात है। पर, यह भी सच है कि यह सब उन्हीं बच्चों के लिए है जिनके माता-पिता समर्थ हैं और अपने बच्चों को अच्छे विद्यालयों में पढ़ा रहे हैं। वैसे माता-पिता जो गरीब हैं, जिनकी दिहाड़ी छिन चुकी है और खाने के लिए भरपेट भोजन भी मयस्सर नहीं है, उनके पास स्मार्ट फोन होने का तो सवाल ही नहीं उठता !ऐसे में, इनके बच्चे ऑनलाइन क्लास के हिस्सा नहीं हैं एवं उनका भविष्य अधर में है।
ऐसा नहीं है कि भारत ही ऐसी परेशानियों से जूझ रहा है बल्कि सम्पूर्ण विश्व में कमोबेश यही हालात हैं । कोरोना ने पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था को हिला कर रख दिया है।
अगर निम्न आय वर्ग के हालात ठीक नहीं हैं तो निम्न मध्य वर्ग भी कोई चैन से नहीं सो रहा है। निम्न मध्यवर्ग के हालात और भी खस्ता हैं ।महीनों से बंद पड़ी दुकान लॉक डाउन के बाद खुली भी हैं तो अधिकांश सामान इस्तेमाल के लायक नहीं रह गए हैं। किराना , फल , दूध ,मेडिकल स्टोर जैसी आवश्यक सेवाओं को छोड़ दिया जाए तो सभी के हालात खस्ता हैं ।विद्यालय में शिक्षकों के वेतन से लेकर, बच्चों की ट्यूशन फीस , दुकानों में व्यापार ठीक से न होने की वजह से नौकरी कर रहे वर्करों को पैसा देना मुश्किल हो गया है ।
उच्च वर्ग एक तिहाई कर्मचारियों के साथ काम करने पर मजबूर है।
ऐसे में, माननीय प्रधानमंत्री का आत्मनिर्भर भारत का सपना ‘डूबते को तिनके का सहारा’ की तरह नजर आ रहा है। हम उम्मीद करते हैं कि शीघ्र ही सरकार स्वरोजगार के लिए कोई बड़ा कदम उठाएगी एवं हमारे देश की चरमराई अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे ही सही पटरी पर जरूर आएगी।
अंत में, इस कोरोना काल में हमने कई महान विभूतियों को खोया है, जिसने हमें हिला कर रख दिया है।कोरोना योद्धाओं विशेषकर चिकित्सक, नर्सिंग स्टाफ,पुलिस-प्रशासन के साथ-साथ आम नागरिकों की मौत से मन व्यथित है। हर तरफ़ मौत का साया है।कोरोना की भेंट चढ़े सभी विभूतियों के साथ देश के उर्दू अदब के महत्वपूर्ण शायर राहत इंदौरी को आँच पत्रिका की तरफ से भाव भीनी श्रद्धांजलि ।
भावना