जनार्दन मिश्र की तीन कविताएं
1
मेरी मां बहुत ही प्यारी न्यारी दुलारी
मेरी धरती है मां
मेरी प्रकृति है मां
मेरा सबकुछ है मां
मेरी नींद
मेरी लोरी है मां
यदि मां नहीं तो हम भी नहीं
मेरी सारी दुनिया वीरान होती है मां के बिना !!!
2
घर की लक्ष्मी सरस्वती महाकाली है मेरी मां
जब घर उदास हो जाता तो मेरी मां
जैसे एक साथ तीनों रूप में दिखती है
मेरे पिता की फटी जेब से
किसी उम्मीद में आंखों से निर्झर बहती है
किसी नदी की तरह तप्त रेत में
भीतर ही भीतर
मेरी मां कभी भी जैसे थकती नहीं
मेरी आस और प्यास होती है मां
जीवन राह होती है मां
घर का आंगन और घर की नींव होती है मां
अगर मां है तो काल भी पराजित है
अगर मां नहीं
तो जीवन ही व्यर्थ और अर्थहीन !!!
3
मेरी मां
मेरा मोक्ष
मेरा जीवन
मेरी चेतना
मेरा संस्कार
मेरा ज्ञान विज्ञान है
मेरी मां
जीवन की पाठशाला
अक्षर भाव शब्द व्यंजना है
यह मेरी जीवन शैली
मेरी गंध है
मां मेरी देवी !
मैं हूं तो मेरी है
मेरी मां है तो मैं हूं
नहीं तो मैं कुछ भी नहीं !!!