विशिष्ट कवयित्री :: ख़ुदेजा खान

मां होने का मतलब

  • ख़ुदेजा ख़ान

जैसे होता है
पहले प्यार का अहसास
जैसे भरता है परिंदा
पहली उड़ान
जैसे धक से हो जाता है
दिल किसी बात पर

ऐसा ही लगा था
जब नन्हीं सी जान
पहली बार आई थी
मेरी बांहों में
मां होने का मतलब
तब समझ me आया था

 

यूं ही नहीं होती
मां के क़दमों तले जन्नत
रातों का सुख
दिन का चैन गवां कर
ग़म और ख़ुशी
पल-पल लुटा कर

आंचल भर-भर मांगी थीं मुरादें
अंजुली  भर-भर दी थीं दुआएं

ख़ुद को भुला कर
उसको सिर्फ़ संवारा था

मां होने का मतलब
तब समझ में आया था

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