तस्वीरों में जब भी माँ दिख जाती है
- डॉ. सीमा विजयवर्गीय
तस्वीरों में जब भी माँ दिख जाती है
मुझको उसकी बेहद याद सताती है
पलभर भी वो मुझसे दूर नहीं रहती
सपनों में आकर कितनी बातें कहती
बात-बात पर हँसती और हँसाती है
सूरत इतनी प्यारी माँ की क्या बोलूँ
उस पर सीरत न्यारी माँ की क्या बोलूँ
घर की तुलसी उसकी याद दिलाती है
सारे काम करीने से सिखलाती थी
कैसे करना ये भी सब बतलाती थी
जाने क्या-क्या अब भी मुझे सिखाती है
यहीं कहीं है पास यही मन है कहता
उस जैसी बन जाऊंँ दिल में ये रहता
माँ के आँचल में जन्नत मिल जाती है