आम आदमी की कविताएं ‘आकाश के पन्ने पर’
- आशीष मोहन
डॉ. अमरजीत कौंके समकालीन कविताई के जाने-माने नाम, हिंदी और पंजाबी के बीच सेतु और दोनों ही भाषाओं के सिद्धहस्त कवि हैं। उनकी मातृभाषा पंजाबी होने के बावजूद वे हिंदी में आकर घुलते-मिलते हैं। हिंदी के बड़े कवियों के बीच आकर बैठते हैं। यह उनका हिंदी प्रेम और उनके अद्भुत साहस का परिचायक है।हालाकि उनकी हिंदी कविताओं में भी पंजाबी महक उठती है। यही वजह है शायद कहीं-कहीं उनकी हिंदी कविताओं में वर्तनी का भटकाव दिखाई देता है, जो एक अन्य भाषा के कवि के लिए बहुत बड़ी बात नहीं है।
डॉ. कौंके जी का हाल ही में प्रकाशित कविता संग्रह “आकाश के पन्ने पर” प्राप्त हुआ पढ़कर अतीव हर्ष हुआ।कवि अपने काव्य के प्रति, अपने साहित्यिक दायित्व के प्रति इतना सजग है कि, वह कभी ईंट पकाते मजदूरों के बीच बैठता है, कभी तारकोल बिछाते लोगों के पास।चरवाहे के गीत सुनता है तो कभी महबूबा के संजीदा सपने देखता है। डॉ. अमरजीत कौंके हिंदी और पंजाबी में मशहूर होने के बावजूद अपनी शैली में मादकता की गंध तक पैदा नहीं होने देते। उनके काव्य से गंध आती भी है तो फूलों की, चिड़ियों की, मजदूरों के मेहनत की ही आती है।
“जब भी
कविता की ऋतु आई
तुम्हारी यादों के कितने मौसम
अपने साथ लेे आई..!”
उपरोक्त कविता अंश उनकी कविता और प्रेम के पाश को उजागर करती है।
डॉ. साहब इकलौते ऐसे कवि हैं जो माँ और बच्चे के बीच मौन संगीत को सुनते हैं साथ ही मेहनतकश मजदूरों की मेहनत का अद्भुत संगीत गढ़ते हैं। उनकी कविताएँ साहस का प्रमाण प्रस्तुत करती हैं-
“हम फिर उठेंगे
ईंट इकट्ठा करेंगे
और घर बनाएंगे”
“मछलियाँ” कविता में अधिक उम्र की महिलाओं के प्रेम को बखूबी निभाया है। कवि जितना मानवीय चिंताओं से ग्रस्त है उतना ही पृथ्वी और प्राकृति की वेदनाओं से भी आहत है। हाल ही में प्रकाशित काव्यग्रंथ “आकाश के पन्ने पर” “आम आदमी के लिए लिखा गया, आम आदमी की कविताओं का अद्भुत ग्रंथ है।”
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पुस्तक – ‘आकाश के पन्ने पर’ (कविता संग्रह)
कवि – डॉ. अमरजीत कौंके
मूल्य – 200/-
प्रकाशक – प्रतीक पब्लिकेशन
समीक्षक – आशीष मोहन
ग्रा.+पो.- झिरी, छपारा
जिला – सिवनी(म.प्र.)
पिन न.- 480887
मो. 9406706752