ख़ास कलम :: सुबीर कुमार भट्टाचारजी

AANCH
सुबीर कुमार भट्टाचारजी की तीन कविताएं
 आनंदमयी माँ द्वारा चोर
का हृदय परिवर्तन

आनंदमयी माँ जा रही थीं ट्रेन से
एक हाथ बाहर था खिड़की के
उन्होंने उस हाथ में
सोने के कंगन पहने हुए थे ।

अचानक एक चोर खिड़की के
बाहर से सोने के कंगन छीनने
की कोशिश करता हुआ दिखाई दिया,
चोर का एक हाथ ट्रेन के
बाहर लगी लोहे की रॉड से
पकड़ा हुआ दिखा,
कोच का दरवाज़ा बंद था,
चोर ने सोने के कंगन के लिए
डाला था अपना जान जोखिम में ।

आनंदमयी मां ने यह देखकर तुरंत शिष्यों
से कहा कोच का दरवाजा खोलने को ,
माँ ने कहा, ” अंदर आने दो उसे ,
मैं सोने के कंगन दूंगी, वह व्यक्ति न मरे, “।

शिष्य नाखुश हुए, लेकिन अनिच्छा से
दरवाजा खोला, चोर आनंदमयी मां के
ठीक सामने आया, मां ने उससे कहा,
“आओ, सोने के कंगन ले लो, “।

पर मां को देखते ही
चोर बदल गया, उसने
कहा “नहीं मां, मुझे
विश्वास करो ,अब मुझे
लालच नहीं है सोने का ” मां ने
शिष्यों से कहा कि चोर को
वे लगभग सौ रुपये दें ,
जिससे चोर अपने और
परिवार के सदस्यो के लिए
कुछ खाना खरीद सके ।

सही समय पर
सायरन का बजना
है जरुरी

आग लगने की
सुनामी आने की
ज्वालामुखी फटने की
युद्ध मे शत्रु के हमले की
हर समय जल्द विपदा की
सुचना मिलती है लोगो को
सायरन बजने के ध्वनि से ही ।

जब डाकु लूटते है बैंक
पिस्तौल की नोक पर
बैंक का सायरन ही
जल्द बुलाता पुलिस को
बैंक कार्यालय पर।

जब वक्त पर न बजे सायरन
तब समस्तीपुर के बैंक
से पाच करोड़ का सोना
लेकर डाकु आराम
से करते है पलायन।

इसलिये सही समय पर,
सही जगह पर,
सायरन का बजना
है बहुत जरुरी ।

दरभंगा के महाराजा का
एक बड़ा हीरा
और नोबेल पुरस्कार

दरभंगा के महाराजा
अपनी अंगूठी में पहनते थे
140 कैरेट का बड़ा पेशवा हीरा ।

सी . वी . रमन को
हीरे में प्रकाश के
प्रकीर्णन का अध्ययन के लिये
जरुरत थी एक बड़े हीरे की ।

दरभंगा के महाराजा ने
सी. वी.रमन को
शोध कार्य के लिए
उधार पर दिया वह बड़ा हीरा।

उस हीरे पर शोध करके
सी . वी .रमन ने
रमन प्रभाव की खोज की
और वे सम्मानित हुये
नोबेल पुरस्कार से ।

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