‘अपने हिस्से का ख़्वाब’: अविनाश बंधु की ग़ज़ल यात्रा

– डॉ.भावना
‘अपने हिस्से का ख़्वाब’ अविनाश बंधु का ताज़ा ग़ज़ल संग्रह है. इस संग्रह में कुल 101 ग़ज़लें हैं, जो विभिन्न भाव भूमि पर आधारित हैं. प्रलेक प्रकाशन से प्रकाशित यह संग्रह कई मायनों में बेहद खास है. अविनाश बंधु डायनामिक पर्सनालिटी के रचनाकार हैं. वे कुशल अभिनेता और कुशल गायक भी हैं. हाल ही में उनके इस संग्रह का लोकार्पण वसीम बरेलवी साहब ने किया था. अविनाश बंधु जितने सहज एवं सरल इंसान है, उतनी ही सहजता से उनकी ग़ज़लें भी पाठकों को आकृष्ट करती हैं. ग़ज़ल लिखना हिंदी साहित्य की सबसे कठिन विधाओं में से एक है. कहते हैं कि यह इल्म अचानक ही किसी को नसीब नहीं होती. बहुत ही मेहनत और परिश्रम के साथ हासिल की जाती है. अविनाश बंधु जब कहते हैं कि है अदब में यह सर झुका वरना/मैं भी हर एक जवाब रखता हूँ, तो कहीं न कहीं यह विश्वास होता है कि यह शख्स बहुत ही ईमानदार है और स्वाभिमान के साथ जीने वाला इंसान है. वे लाखों मुसीबत झेलने के बावजूद अपने अदब को छोड़ना नहीं चाहते. यही अदब हमारी संस्कृति भी तो है. ग़ज़ल में कहन और मुहावरा का बड़ा महत्व होता है. हम कितनी अच्छी बात शेरों में ढालकर एक खूबसूरत कहन के साथ कह सकते हैं, यह चैलेंज हर एक ग़ज़लकार को स्वीकार करना होता है, जो इसे स्वीकार कर लिया, वह ग़ज़ल की तहजीब स्वतः हासिल कर लेता है. अविनाश बंधु कहते हैं, जो घर को बसाने की दे नसीहत, उन्हीं का यहां एक घर भी नहीं है, तो आजकल के आदमी के बड़बोलेपन का सहज अनुमान लगाया जा सकता है. अविनाश बंधु के इन शेरों से उनके मिजाज को समझा जा सकता है –
लोगों से मैंने कोई भी शिकवा नहीं किया
जो भी है सामने है दिखावा नहीं किया
इस शेर में ईमानदारी और प्रामाणिकता का भाव है. कवि लोगों या परिस्थितियों के बारे में शिकायत न करने का दृढ़ संकल्प व्यक्त करता है. इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि वे किसी भी दिखावे की कमी पर जोर देते हैं, यह सुझाव देते हुए कि उनका सच्चा स्वरूप हमेशा प्रदर्शित होता है, बिना किसी झूठे प्रदर्शन या दिखावा के. शायर ऐसे व्यक्ति की बात करते हैं, जो वास्तविकता को सबसे ऊपर महत्व देता है.
साथ होते आप तो होता सुहाना यह सफर,
दो कदम अपने सही आगे बढ़ा कर देखिए
यह शेर साथ और साझा यात्रा के लिए एक हार्दिक लालसा लिए हुए है. शायर कहते हैं कि जीवन का सफर कहीं अधिक सुखद और सुंदर होता अगर प्रिय उनके साथ होता. दूसरी पंक्ति दूसरे व्यक्ति से पहल करने के लिए एक कोमल, फिर भी मार्मिक, विनती है, “दो कदम अपने सही आगे बढ़ा कर देखिए,” जो रिश्ते में आपसी प्रयास की इच्छा को इंगित करता है. यह लालसा और एक सूक्ष्म आमंत्रण का मिश्रण है.
टूटने पर मैं जब सबसे मिलने गया
हो गए सब के सब बेवफा देखिए
यह शेर विश्वासघात और मोहभंग को दर्शाने वाला एक प्रासंगिक शेर है. वाक्यांश “टूटने पर भेद्यता के एक क्षण का प्रकट करता है. इस नाजुक स्थिति में, जब कवि ने आराम या समर्थन मांगा, तो उन्होंने पाया कि हर कोई बेवफा हो गया था. यह शेर कड़वी हकीकत को उजागर करता है कि जिन पर भरोसा किया गया था, उन्होंने जरूरत के समय उन्हें छोड़ दिया.
ख्वाब में जो मिला पाना चाहे उसे
है आशिक बड़ा सिरफिरा देखिए
यह शेर एक स्वप्निल, अपरंपरागत, प्रेमी का वर्णन करता है. “ख्वाब में जो मिला” उस व्यक्ति को संदर्भित करता है जो एक आदर्श का पीछा करता है, एक ऐसा प्यार जो सपनों या कल्पना में पाया जाता है. शायर तब ऐसे प्रेमी को “बड़ा सिरफिरा” बताता है. यह एक ऐसे प्रेमी का अर्थ है जो शायद अव्यावहारिक या लगभग अप्राप्य आदर्श पर गहराई से केंद्रित है, जो व्यावहारिक विचारों के बजाय गहन जुनून से प्रेरित है.
गांव में बीता बचपन जब याद आता है
रो देता हूँ ऑफिस से घर जाने में
यह शेर गांव में बीते बचपन की सादगी और खुशी को वयस्क जीवन की एकरसता और दबावों के साथ खूबसूरती से जोड़ता है. “गांव में बीता बचपन” की साधारण स्मृति इतनी शक्तिशाली है कि यह कवि की आँखों में आंसू ले आती है, यहां तक कि “ऑफिस से घर जाने में” नियमित कार्य के दौरान भी़ यह खोई हुई मासूमियत और शायद वर्तमान जिम्मेदारियों के बोझ के लिए एक लालसा की अभिव्यक्ति है.
कमी तो नहीं है मुझे दोस्तों की
सभी से मगर झूठी चाहत मिली
यह शेर मित्रताओं में कड़वी निराशा को दर्शाता है. शायर कई दोस्त होने की बात स्वीकार करते हैं. लेकिन “सभी से मगर झूठी चाहत मिली” जैसी पंक्तियां दर्दनाक अहसास को उजागर करता है कि रिश्तों की मात्रा के बावजूद, स्नेह की गुणवत्ता कपटी होती जा रही है , जिससे अलगाव की भावना पैदा होती है।
दुआओं में रब से तुम्हें मांगता हूँ
मैं तकदीर अपनी तुम्हें जानता हूँ
यह गहरी भक्ति और नियति में विश्वास का एक शेर है़. शायर कहते हैं कि वे प्रिय के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते हैं. दूसरी पंक्ति, “मैं तकदीर अपनी तुम्हें जानता हूं” में इस विश्वास और प्रेम को और बढ़ाते हैँ. शायर कहते हैँ कि प्रिय केवल एक इच्छा नहीं, बल्कि उनके भाग्य का एक अभिन्न अंग है, जो उनका होना तय है. यह गहरे, नियतिवादी प्रेम की घोषणा है.
कांटो की देख रेख ने ऐलान यह किया
अब आगे दिल में फूल खिलाए न जाएंगे
यह एक अत्यधिक लाक्षणिक शेर है. “कांटे” प्रेम में अतीत के दर्द, चोटों या कड़वे अनुभवों का प्रतीक हैं. “देख रेख” का अर्थ है कि इन कांटों ने अब नियंत्रण कर लिया है, जो हृदय के भविष्य को तय कर रहे हैं. इन कांटों द्वारा किये गये “ऐलान” “अब आगे दिल में फूल खिलाए न जाएंगे”, इसका मतलब है कि हृदय, घायल होने के कारण, खुद को सुरक्षित रखने का फैसला किया है, प्यार में कमजोर पड़ने से इनकार कर दिया है, और स्नेह के किसी भी नए “फूल” को खिलने से रोक रहा है.
खुला था हाथ उसका कि हमारा हाथ बंद था
हमें वह दर्द दे गया और हमने कुछ दिया नहीं
“खुला था हाथ उसका” में शायर कहता है कि दूसरा व्यक्ति उसे दर्द पहुंचा रहा था. मगर वह इसके विपरीत, “हमारा हाथ बंद था” शायर की लाचारी, बदले में कुछ भी करने में असमर्थता को बयान करता है. शेर का मूल “हमें वह दर्द दे गया और हमने कुछ दिया नहीं” में निहित है़. यह एकतरफा आदान-प्रदान का सुझाव देता है, जहां शायर केवल पीड़ा का प्राप्तकर्ता था, प्यार, क्रोध, या यहां तक कि एक प्रति-उत्तर के साथ भी जवाब देने में असमर्थ था.
उसकी सजन में रंगत थी उसकी अदा में थी चाहत
पहला पहला गीत था मेरे पहले पहले सावन का
यह पहले प्यार के जादू के बारे में एक सुंदर और रोमांटिक शेर है़. “उसकी सजन में रंगत थी उसकी अदा में थी चाहत” प्रिय की मोहक उपस्थिति का स्पष्ट रूप से वर्णन करता है. उनका पूरा अस्तित्व रंगीन और जीवंत था, और उनके हाव-भाव आकर्षण और चाहत बिखेरते थे़ दूसरी पंक्ति एक अद्भुत रूपक का उपयोग करती है: “पहला पहला गीत था मेरे पहले पहले सावन का” यह प्रिय के आगमन और पहले प्यार की भावना की तुलना मानसून की पहली बारिश के ताज़ा और आनंददायक आगमन से करता है, जो नई शुरुआत, ताजगी और गहन सुंदरता का प्रतीक है. यह शुद्ध, मासूम और मोहक प्यार की भावना पैदा करता है.
शायर अविनाश बंधु जीवन को उसकी सच्चाई के साथ स्वीकार करते हैं. उनके शेरों में ईमानदारी और दिखावा न करने का दृढ़ संकल्प झलकता है. यह एक ऐसे व्यक्ति की पहचान है, जो अपनी सच्चाई के साथ खड़ा है, चाहे परिस्थितियाँ कैसी भी हों. इनके शेरों में रिश्तों की कई परतें दिखाई देती हैं. जहां एक ओर प्रिय के साथ एक सुहाने सफर की कल्पना है़, वहीं दूसरी ओर विश्वासघात का गहरा दर्द भी है. उनके शेरों में यह दर्शाता है कि बाहरी तौर पर भले ही कितने भी लोग साथ हों, भावनात्मक जुड़ाव और ईमानदारी की कमी अक्सर व्यक्ति को अकेला कर देती है. इनके शेरों में प्रेम की अवधारणा भी विभिन्न रूपों में सामने आती है. इनके शेर प्रेम की गहराई और नियति पर अटूट विश्वास को दर्शाती है. शायर का शेर वर्तमान की व्यस्तता और जिम्मेदारियों को बखूबी व्यक्त करता है. अविनाश बंधु को शेर मानवीय आत्मा की लचीलापन और संवेदनशीलता को दर्शाता हैं. वे जीवन के हर मोड़ पर आने वाले सुख-दुख, प्रेम-विरह, ईमानदारी-छल और आशा-निराशा का एक ऐसा मिश्रण प्रस्तुत करते हैं, जो हर पाठक को अपनी ओर आकर्षित करता है. कवि ने इन शेरों के माध्यम से व्यक्तिगत भावनाओं को सार्वभौमिक अनुभवों से जोड़ा है, जिससे ये पंक्तियां हर किसी के दिल को छू लेती हैं.
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संग्रह- अपने हिस्से का ख्याब
ग़ज़लकार- अविनाश बंधु
समीक्षक- डाॅ भावना
प्रकाशन- प्रलेक प्रकाशन