विशिष्ट गीतकार :: उदय शंकर सिंह ‘उदय’

उदय शंकर सिंह ‘उदय’ के पांच गीत

कुछ काम करो

ऐसे मत बैठो
कुछ काम करो
कुछ धूप , कुछ हवा का
इंतजाम करो!

कुछ जल का
कुछ थल का भी
कुछ आज का
कुछ कल का भी
धरती तो माता है
मां का सम्मान करो!

कुछ वन का
उपवन का भी
कुछ मलयानिल
चंदन का भी
प्राण हैं येअपनी रसा के
इनके मत प्राण हरो!

कुछ फूल का
कुछ गंध का भी
कुछ लय का
कुछ छंद का भी
धरती गीतांबरा है
गीतों का मान करो

आओ सहेजें गीत को

कुछ बुरे दिन के लिए
आओ! सहेजें गीत को!

गीत जो किश्ती बने
उस पार जाने के लिए
और इक पतवार दे दे
धार खाने के लिए
गीत जो कर दे गझिन
विश्वास के नवनीत को!

गीत जो पोहे कि सबको
एक मुक्ताधार से
पीठ उनकी थपथपाए
जो न हारे हार से
रूठ जो हमसे गए
आओ प्रबोधें मीत को!

गीत जो प्यासे को जैसे
मानसर का तट मिले
जेठ में जलते हुए को
छाँह वाला वट मिले
गीत जो रच दे नया जीवन
नये संगीत को!

शिशु की प्रार्थना को

नींद में
उतरी हुई
एक शिशु की
प्रार्थना को
ईश्वर तुम
स्वीकार कर लो

शुद्ध है यह
जल रहे
घी के दिये सा
मुख कि है निर्मल
नीराजंन लिए सा
जले यह निर्धूम
हो उद्दीप्त हर क्षण
और उसमें
स्नेह का
उपहार भर लो!

हाथ ये नव -पद् के
संपुट सदृश
जोड़े हुए
होंठ माँ के दूध में
ताजा अभी
बोरे हुए
नींद में ही मुस्कुराती
और रह- रह
कुनमुनाती
इस निरामिष याचना का
आज यह
अधिभार धर लो!

यह मछली भी

यह मछली भी फंसी जाल में!

उछल रही थी जल- तरंग पर
अपने गोरे मृदुल अंग पर
आन फंसी वंशी में ऐसे
नाच न पाई ठुमक ताल में!

अब उछलेगी कहाँ किधर से
बंधी रहेगी इसी डोर से
ले जायेगा इसे मछेरा
डाल इसे फिर नई डाल में!

अब ढूंढ़ेगी खुद अपने को
अपने उन मीठे सपनों को
जाने क्या -क्या झलक रहे हैं
अब इसके नयन -ताल में!

कच्चा चिट्ठा

खोल रहा दिन
काला चिट्ठा
काली रातों का!

यहीं मिली थी
पुल के न
मरी हुई रधिया
काबिज था
आँखों में काजल
माथे पर बिंदिया
चमक रहा था
रंग सीपीया
मोती दांतों का

इसी जगह पर
अभी बनी है
नई पुलिस चौकी
जिसे देख
कानी कुतिया है
बहुत बार भौंकी
इसके पास धरा लेखा है
सब करतूतों का!

सूख रही है नदी
बचा अब कहीं न पानी
ऐसे ही रिश्ते -नातों की
हुई कहानी है
जाने कब आये मौसम
फिर से बरसातों का

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परिचय : उदय शंकर सिंह ‘उदय’ का कई नवगीत संग्रह प्रकाशित है़. विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में इनकी रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं
सम्मान – उत्तर प्रदेश के हिंदी संस्थानों द्वारा काव्य श्री, साहित्य श्री, काव्य किरीट सम्मान, पटना में गीत रत्न सम्मान
सम्पर्क- गीतांबरा
शहबाजपुर (दुर्गास्थान )
उमानगर , मुजफ्फरपुर
विहार – 842004
मो.8252122 711

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