तुम मुझे मिली
तुम मुझे मिली
मैं सरेराह ठिठक गया
तुमने मुझे देखा
मेरी आंखों में उग आया
सतरंगा इंद्रधनुष
तुम मुस्कुराई
मेरे भीतर हरसिंगार झरे
तुम मेरे पास आई
मेरे लहू में उड़ने लगीं
अनगिनत तितलियां
मैंने पहली बार कहा तुम्हें
– प्यार
मैं चंदन की तरह महका
तुमने झुका ली
अपनी चमकीली आंखें
मेरे सपनों को पंख लगे
तुम सिमटी
मैं फैलता चला गया
एक साथ चारो दिशाओं में
तुमने कहा – प्यार
और मुझे आकाश की तरह
असीम कर दिया !
सरसो के फूल
सरसो के खेतों के बीच से
गुजर रहा था कल
एकदम थका-हारा
कि पौधों ने पकड़ लिए पांव
कहा – बैठ जाओ न दो पल
अभी हमारे साथ
क्या कोई जल्दी है ?
मैंने थोड़ी जगह बनाई
और लेट गया
दो खेतों के बीच की मेड़ पर
कुछ देर बातें की हरी पत्तियों
पीले-पीले फूलों
बदन पर सरसराती हवा से
और फिर आंखें मूंद ली
मैं थका था
पत्तियों ने दबाए मेरे पैर
फूलों ने सहलाया मेरा चेहरा
हवा ने चूम लिए मेरे होंठ
एक बहुत गहरी नींद लेकर
मैं ताजादम घर लौटा तो
मेरी आंखों में नमी थी
और मेरे हाथ में सरसो के
ताजा, पीले फूलों का
एक मोटा-सा गुच्छा
मां की तस्वीर के आगे
फूल रखकर मैंने बहा लिए
दो बूंद आंसू
और आहिस्ता से कहा –
तू भी मां खूब है
बचपन के बाद आज सीधे
मेरे बुढ़ापे में ही याद आई तुझे
बेटे के थके, कमजोर बदन पर
सरसो तेल की मालिश ?