खास कलम: मनोज

न नजरें मिली
न देखा जी भर
यादों में बसी
वह हमसफर हर डगर
दो कदम जो चले
मेरी परछाई वो
जुदा जब हुए
मेरी तन्हाई वो
आंखें जब लगी
ख्वाब में वही
वो मेरी वंदना
वो इबादत मेरी
वो मेरी नजर
कविता भी वही
वो भला ख्याल
सूरत भी वही
मन की सांसें है वो
धड़कन भी वही
वो मेरी आरजू
दिल की जुस्तजू
जो भुलिये, भूले नहीं
इक कहानी है वो
सच कहूं तो कुछ
मेरी जिंदगानी है वो

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *