श्रद्धांजलि अमन चांदपुरी : विभा माधवी का अमन के नाम पत्र
अमन सबके अमन
अमन तुम्हारे जाने की खबर सुन कर दिमाग में विचारों का बवंडर चल रहा है। तूफानों का झंझावात उठ रहा है। सबके मन की अमन शान्ति छीन गयी है। इर कोई बेचैन और स्तब्ध है कि ये क्या हो गया???…. नवरात्रा के समय से ही तुम्हें डेंगू बुखार होने की खबर पढ़कर सभी के हाथ माता भगवती से तुम्हारी मंगलकामना के लिए उठे। सबों के मन में विश्वास था कि तुम अवश्य शीघ्र स्वस्थ होकर हम सबों के बीच अपनी प्यारी मुस्कान लिये उपस्थित होगे। कौशिकी समूह के सभी सदस्य हमारे आत्मीय हो गये हैं। सभी तो इस विशाल वृक्ष की अलग-अलग शाखा के रूप में कौशिकी से जुड़े हैं और तुम तो इस वृक्ष के लहलहाते कोंपल के रूप में सबों को लुभा रहे थे। क्या कहूँ तुम्हारी खबर सुनकर दिन का चैन और रातों की नींद खो गई है। बस स्तब्ध-सा हर कोई ठगा महसूस कर रहा है कि नियति ने कैसा क्रूर मजाक किया है। एक उभरता देदीप्यमान सितारा हमेशा के लिए खो गया है। अमन तुम हमेशा सब के दिल में रहोगे। साहित्यजगत में अपनी रचनाओं से सदा याद किये जाओगे। किस तरह से और क्या कह कर तुम्हारे माता-पिता को ढाढस बँधाया जाय ये किसी को नहीं पता। कहे तो क्या कहे??….. कैसे सांत्वना दे तुम्हारी इस अपूरणीय क्षति को लेकर। कोई भी शब्द कम है इन भावों को व्याख्यायित करने के लिए। बस सबके मन में एक ही भाव है कि समय को कुछ पीछे धकेल कर नियति के क्रूर हाथों से छीन कर तुम्हें वापस ले आये ताकि तुम पुनः अपनी मुस्कान लिये सबों के बीच आ जाओ और अपनी रचनाओं की सुरभि से सबों को सुरभित करो।
– डॉ. विभा माधवी, खगड़िया