विशिष्ट ग़ज़लकार :: के.पी.अनमोल

के.पी. अनमोल की दो ग़ज़लें 1 है दिल से ये निकलती सदा वन्दे मातरम मेरे वतन, तू मेरी वफ़ा वन्दे मातरम नापाक हौसलों से कहो ख़ैर अब करें अब हमने…

विशिष्ट गीतकार :: वशिष्ठ अनूप

वशिष्ठ अनूप के दो गीत   हमारा वतन जाति-धर्मों में इसको न बाँटे कोई प्रेम की पाठशाला हमारा वतन । इसके जैसा नहीं है कोई दूसरा सारे जग से निराला…

समकालीन हिन्दी ग़ज़ल में युवा ग़ज़लकारों का हस्तक्षेप :: डॉ भावना

समकालीन हिन्दी ग़ज़ल में युवा ग़ज़लकारों का हस्तक्षेप डॉ.भावना  हमारा देश युवाओं का देश है। हर पीढ़ी के पास अपनी सोच और विचार होते हैं, जो समाज के विकास में…

एक तीर दो निशान :: ज्वाला सांध्यपुष्प

एक तीर दो निशान ज्वाला सांध्यपुष्प शाम का वक़्त था। प्रभारी सब-इंस्पेक्टर आर के यादव अपने साथी सब-इंस्पेक्टर सुदीप पांडेय के साथ  थाने के पिछवाड़े के एक प्राइवेट कमरे में…

कोरोना काल में बेबसी की कविताएं ‘दुनिया भेलई उदास’ :: सुधांशु चक्रवर्ती

कोरोना काल में बेबसी की कविताएं ‘दुनिया भेलई उदास’ सुधांशु चक्रवर्ती दुनिया की कोई भी भाषा पिंजरे में क़ैद नहीं होती।प्रेम-मुहब्बत,दु:ख-दर्द, भूख, सुरक्षा, सम्मान आदि की भावनाओं एक-दूसरे के बीच…