गर्म हवा के थपेड़े सहती सत्तर के दशक की युवा पीढ़ी :: शरद कोकास
गर्म हवा ’ के थपेड़े सहती सत्तर के दशक की युवा पीढ़ी …
गर्म हवा ’ के थपेड़े सहती सत्तर के दशक की युवा पीढ़ी …
महका हरसिंगार खुली रह गई खिड़की मन की, महका हरसिंगार रात भर। शीतल मलयानिल रजनी के, जूड़े में ध्रुव टाँक रहा था। बिखराता ज्योत्स्ना अजिर में, सुघर चंद्रमा झांक रहा…
अप्रत्यक्ष शिकार – डा0 विकास कुमार लौतन वाली की इस बेरुखी से खिसियाकर कर घपोचन साह रेलवे पटरी की ओर बढ़ गया था,…
सपना मंजुल भावका – नंद कुमार आदित्य सिलसिला आपकी तगाफुलका दर्द पिंजरेमें बन्द बुलबुलका बागवाँ लाख …
अगले जनम फिर आना : सिद्धिनाथ स्मृति – सतीश नूतन 1982 में गाँव की गझिन गाछ, बरैला ताल पर उड़ते प्रवासी पक्षियों के कलरव, झाल-करताल-हरिकीर्तन के स्वर और दादी के…
शॉपिंग मॉल – डॉ.जियाउर रहमान जाफरी चलो ना मम्मी शॉपिंग मॉल ले आएंगे इक फुटबॉल वहां पे मिलती चीजें सारी अच्छी अच्छी प्यारी -प्यारी कपड़े रंग-बिरंगे …
लघुकथाओं को अलग ढंग से परिभाषित करते हैं रमेश बत्तरा …
अश्विनी कुमार आलोक की दो लघुकथाएं मूर्त्तियाँ मैं स्वयं नहीं समझ पा रहा था कि मैं किस मिट्टी का बना हुआ हूँ।मैंने इससे पहले भी अपने आप को न…
1 आँखों की तस्वीर अलग है आँसू की तस्वीर अलग अपना-अपना हिस्सा सबका है सबकी तक़दीर अलग प्यार किया हो जिसने केवल स्वाद वही जाने इसका होठों की तासीर अलग…
‘ग़ज़ल एकादश’ की ग़ज़लें आम आदमी के करीब …