रामवृक्ष बेनीपुरी की जीवन दास्तान :: महंथ राजीव रंजन दास
रामवृक्ष बेनीपुरी की जीवन दास्तान – मंहथ राजीव रंजन दास छात्र जीवन मे ही महात्मा…
रामवृक्ष बेनीपुरी की जीवन दास्तान – मंहथ राजीव रंजन दास छात्र जीवन मे ही महात्मा…
आत्मकथा और आत्मछलना के विभिन्न रूप : राजेन्द्र यादव – बातचीत : रूप सिंह चंदेल दलित और नारी विमर्श आज साहित्य और वैचारिक विमर्श की मुख्यधारा बन गया है…
ग़जल संस्कृति के संवाहक आर.के. माथुर ‘राजीव’ भागीनथ वाक्ले मस्जिद में आके देख, इबादत भी है नशा मयनोश भूल जायेगा, खुद ही शराब को । रामपुर रजा लाइब्रेरी…
1 पीते न सब जनाब हैं ये इश्क़ की शराब क्या हम हो गये ख़राब क्यों हमने किया ख़राब क्या मुझसे तुम्हें लगाव है ? सबसे मुझे लगाव है !…
जरा सोचिए साधो आज फिर पिट कर आया। बालो ने उसकी बुरी तरह पिटाई कर दी थी। एक-एक हड्डी तक चटका दी थी। नस-नस को तोड़ कर रख दिया था।…
परिवार पूरे मोहल्ले के लिए पहेली था ये परिवार। परिवार भी क्या एक करीब साठ पैंसठ साल के वृद्ध और एक सुदर्शन युवक। सब उनको विनोद बाबू के नाम से…
तुम्हें मेरा नाम याद आ जाये मैं तुझसे बात नहीं करता इसका मतलब यह नहीं कि तुम्हें याद नही करता.. सोचता हूँ कि अब तक तुम्हें मेरा पूरा नाम याद…
पृथ्वी-पत्र तुमने लिखी है पृथ्वी मेरे नाम ! हरियाली उड़ेल दी तुमने नदी-नद के छोर वशवर्ती मेरे पत्ते, वृक्ष सहोदर से बढ़े मेरे साथ ! मेरे स्पर्श की उष्णता…
गाँव ढूँढते हो पहले काटा पेड़ और अब छांँव ढूँढते हो पागल हो, इस महानगर में गांँव ढूँढते हो मिलने और मिलाने वाली रीतों को छोड़ा चिट्ठी – पत्री…
बड़ा पाप – चांदनी समर संध्या के समय जब समुद्र की लहरें किनारे से टकरा कर दम तोड़ रही थी तो गुब्बारेवाला भी तेज़ी से गुब्बारे फुला कर अपनी सांसें…