विशिष्ट गीतकार :: योगिता ‘जीनत’
माँ – योगिता ‘जीनत’ जब मैंने अपने अधरों से पहली बार कहा था माँ , तेरी अँखियों से ममता का कितना नीर बहा था माँ । पहली बार चली…
माँ – योगिता ‘जीनत’ जब मैंने अपने अधरों से पहली बार कहा था माँ , तेरी अँखियों से ममता का कितना नीर बहा था माँ । पहली बार चली…
डॉ. संजय पंकज के तीन गीत मां तो होती सबके आगे पीछे रहती रखती सबको साए में! मां तो होती धूप चांदनी कुछ गाए अनगाए में! संबंधों की पूरी दुनिया…
नवगीत अम्मा महेश कटारे सुगम घर में नहीं अकेली अम्मा तुलसी का घरुवा गुटका रामायण का भगवानों से सजा हुआ इक सिंहासन एक दुधारू गैया चितकबरी बिल्ली कच्चा सोंधा लिपा…
ग़ज़ल वशिष्ठ अनूप तिनके तिनके हमेशा जुटाती रही एक घर अपने मन में बनाती रही दूध और भात हर दिन कहाँ था सुलभ किंतु मां चंदा मामा बुलाती रही नेह…
ग़ज़ल रवि खण्डेलवाल घर के अंदर माँ रहती है, माँ के अंदर घर बिन माँ के सूनी दीवारें, सूना घर का दर माँ ही ऐसी होती जो दुनिया के दुख…
ग़ज़ल विकास जिस घर में माँ का साया है कौन उसे दुख दे पाया है माँ के चरण कमल के नीचे दुनिया की स्नेहहिल छाया है चाहे जितनी पीड़ा सह…
ग़ज़ल डाॅ. अंजनी कुमार सुमन नेमत है मन्नत है रब है सच में चारों धाम है माॅं हर बच्चे का काबा काशी अल्लाह यीशू राम है माॅं ममता की कोमल…
ग़ज़ल डॉ.सोनरूपा विशाल शाम सी नम,रातों सी भीनी,भोर सी है उजियारी माँ मुझमें बस थोड़ी सी मैं हूँ, मुझमें बाक़ी सारी माँ जब मुश्किल हालात के अंगारों से हमको आँच…
ग़ज़ल संजीव प्रभाकर हमेशा काम करती माँ, यूँ सुब्ह-ओ-शाम करती माँ कभी देखा नहीं लेटी हुई आराम करती माँ कड़ी मेहनत बताती थी -मेरी हर कामयाबी को मेरी सब मुश्किलों…
ग़ज़ल मधुवेश हो रहा था मैं बड़ा माँ का चिमटना देखता इक अदद घर के लिए दिन-रात खटना देखता हाथ मेरे और भी ज्यादा जला देता तवा मैं नहीं माँ…