आलेख : लक्ष्मण प्रसाद गुप्ता
देखिए, अब जिंदगी की तर्जुमानी है ग़ज़ल – लक्ष्मण प्रसाद गुप्ता ‘‘ग़ज़ल कभी भी देशों या मज़हबों की सरहदों में कै़द नहीं हो पाई। इसे ज़बरदस्ती रूहानी या आध्यात्मिक लिबास…
देखिए, अब जिंदगी की तर्जुमानी है ग़ज़ल – लक्ष्मण प्रसाद गुप्ता ‘‘ग़ज़ल कभी भी देशों या मज़हबों की सरहदों में कै़द नहीं हो पाई। इसे ज़बरदस्ती रूहानी या आध्यात्मिक लिबास…
मस्सा कथाकार – यासुनारी कावाबाता अनुवाद – सुशांत सुप्रिय कल रात मुझे उस मस्से के बारे में सपना आया। ‘मस्सा’ शब्द के जिक्र मात्र से तुम मेरा मतलब समझ गए…
पुनरावृति एक दुसरे के एहसासों से लदे हम लौट आते हैं हर बार एक दुसरे के पास पहले से लड़ी बड़ी लडाइयों के बावजूद कई दिनों की मुह फुलाई के…
हिंदी ग़ज़ल का प्रभुत्व यानी हिंदी ग़ज़ल का नया पक्ष – लेखक – अनिरुद्ध सिन्हा/ समीक्षक – शहंशाह आलम हिंदी ग़ज़ल की आलोचना मेरे ख़्याल से हिंदी साहित्य में उतनी व्यापक अथवा विकसित…
एक मौन प्रार्थना बड़ी अदभुत है मौन की भाषा भी कहने वाले ने अपनी बात कह भी दी… और मान लिया कुछ बिन्दुओं को उकेर कर कहा है जो भी…
आलता लाल एक जोड़ी घिसे पाँव निकल पड़े हैं आदिम दिशा को कर आई विदा जिन्हें बस कल ही वो पलटे नहीं न ठिठके न ही बदली दिशा अपनी पुकारता…
प्रजापति की ग़ज़लें अत्यंत सहजता से वर्तमान के यथार्थ तक ले जाती हैं – अनिरुद्ध सिन्हा डॉ कृष्ण कुमार प्रजापति की ग़ज़लें साधारण बोलचाल की आवाज़ के उतार-चढ़ाव में हैं…
पुस्तक समीक्षा हर इक ख़ूबी-ओ-ख़ामी पर नज़र जाए तो अच्छा हो: दहलीज़ का दिया – के. पी. अनमोल ‘दहलीज़ का दिया’ भाई वाहिद काशीवासी का पहला ग़ज़ल संग्रह है। बनारस…