इक्कीसवीं सदी के इक्कीसवें साल की बेहतरीन ग़ज़लें’: एक नायाब संकलन
– के.पी.अनमोल

इस पुस्तक में बेहतरीन ग़ज़लों के समावेश के साथ-साथ कुछ महत्वपूर्ण आलेख और बह्रों की जानकारी भी दी गयी है। सभी रचनाकारों के रंगीन फ़ोटो प्रकाशित हैं। अन्त के पृष्ठों पर रचनाकारों के जन्म की तिथियों, विवाह की तिथियों तथा शहरों के नाम का उल्लेख किया गया है। एक बिलकुल अलग अंदाज़ का काम यह किया गया है, कि इसमें हर सम्मिलित रचनाकार का अपने जीवनसाथी के साथ विवाह तिथि सहित उन्हें समर्पित एक शेर या दोहा रंगीन पृष्ठ पर रखा गया है।
पुस्तक के आरम्भ में पिछले दिनों हमें छोड़कर रुख़सत हुए रचनाकारों को ‘यादें’ स्तम्भ से श्रद्धांजलि अर्पित की गयी है। वहीं कुछ प्रसिद्ध रचनाकारों को ‘धरोहर’ स्तम्भ में याद रखा गया है। कुल 535 पृष्ठों का यह संकलन एनी बुक प्रकाशन से आकर्षक कलेवर में छपकर आया है। पुस्तक पर की गयी मेहनत का आभास इसे हाथ में लेते ही हो जाता है। रमेश कँवल जी द्वारा संपादित ‘2020 की नुमाइंदा ग़ज़लें’ पुस्तक भी बहुत मेहनत से तैयार की गयी थी और ख़ूब चर्चित भी रही थी। वे अपने व्हाट्सएप समूह के माध्यम से तथा व्यक्तिगत संपर्क के ज़रिए उत्कृष्ट रचनाओं और रचनाकारों तक पहुँचने को आतुर रहते हैं। बिना किसी शोर-शराबे और ग्रुपिंग के विस्तृत सोच के साथ ये लगातार बेहतरीन काम करते रहने के लिए संकल्पबद्ध दिखते हैं। ये दोनों पुस्तकें इस बात की सनद हैं।
899/- रुपये मूल्य की यह संग्रहणीय पुस्तक हर ग़ज़लकार के संग्रह की शोभा बढ़ाने योग्य है। एक उल्लेखनीय बात यह भी कि सम्मिलित सभी रचनाकारों को पुस्तक की एक-एक प्रति निःशुल्क उपलब्ध करवाई गयी है।
पुस्तक – इक्कीसवीं सदी के इक्कीसवें साल की बेहतरीन ग़ज़लें
संपादन – रमेश कँवल
समीक्षक- के पी अनमोल
प्रकाशन – एनी बुक
मूल्य- 899