‘समाजवाद या बर्बरतावाद : मार्क्सवाद का द्वंद्वात्मक अंतर्विरोध’ : डॉ संजीव जैन

‘समाजवाद या बर्बरतावाद : मार्क्सवाद का द्वंद्वात्मक अंतर्विरोध’ रोजा लक्जमबर्ग ने मार्क्स के अध्ययन और पूंजीवादी व्यवस्था या उत्पादन पद्धति के उनके विश्लेषण के परिणामों पर लिखते हुए यह टिप्पणी…

  रामधारी सिंह दिनकर का साहित्य और उनकी जीवन चेतना : राजीव कुमार झा

रामधारी सिंह दिनकर का साहित्य और उनकी जीवन चेतना – राजीव कुमार झा रामधारी सिंह दिनकर आधुनिक काल के भारतीय लेखकों में अग्रगण्य हैं. उन्होंने अपने काव्य लेखन और गद्य…

दलित चेतना के अग्रदूत डॉ. अम्बेदकर : डॉ पूनम सिंह

दलित चेतना के अग्रदूत डॉ० अम्बेदकर पूनम सिंह बाबा साहब अम्बेदकर अस्पृश्य मानी जाने वाली महार जाति में पैदा हुए थे । निम्न जाति में पैदा होने की मर्माहत पीड़ा…

यथार्थ के प्रकाशित धरातल पर हिन्दी ग़ज़ल :: अनिरुद्ध सिन्हा

यथार्थ के प्रकाशित धरातल पर हिन्दी ग़ज़ल – अनिरुद्ध सिन्हा वर्तमान समय में सच और झूठ ,न्याय और अन्याय,धर्म और अधर्म के सारे फासले मिट गए हैं । सच की…

कवि स्वप्निल श्रीवास्तव से युवा कवि राजीव कुमार झा की बातचीत

कवि स्वप्निल श्रीवास्तव से युवा कवि राजीव कुमार झा की बातचीत राजीव –आप लम्बे समय से लेखन कर रहे हैं । आपने कविता लेखन कब शुरू किया था और साहित्यिक पत्र…

ट्वईंटी-ट्वईंटी के प्लाट पर प्रेम :: चित्तरंजन कुमार

ट्वईंटी-ट्वईंटी के प्लाट पर प्रेम – चित्तरंजन कुमार किस-किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम तू मुझसे खफा है तो जमाने के लिए आ -अहमद फराज बातें हुई तो प्रेम,…

संस्मरण :: बाघ की गुर्राहट सुन पेड़ पर कटी रात

बाघ की गुर्राहट सुन पेड़ पर कटी रात! – बिभेष त्रिवेदी, वरीय पत्रकार यह बनौली फारेस्ट गेस्टहाऊस है। वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के बड़े परिसर में बेतिया राज का गेस्टहाऊस। यहां…

बलात्कार एक सामाजिक अपराध बनाम बीमार समय और समाज : संजीव जैन

बलात्कार एक सामाजिक अपराध बनाम बीमार समय और समाज    हम जिस समय और समाज में रह रहे हैं वह अपने सामूदायिक दायित्वों की पूर्ति की दृष्टि से बीमार है…

समकालीन कविता में रश्मिरेखा ने बनायी थी विशिष्ट पहचान :: चितरंजन

समकालीन कविता में रश्मिरेखा ने बनायी थी विशिष्ट पहचान :: चितरंजन एकांत में जीवन की तलाश जोखिम भरा कार्य है. यह तलाश तब और कठिन हो जाती है, जब हमारी…

रचनाकार स्मरणः ‘अंधेरे में रोशनी की सेंध’ की कवयित्री :: डॉ रमेश ऋतंभर

रचनाकार स्मरणः ‘अंधेरे में रोशनी की सेंध’ की कवयित्री “रश्मिरेखा का नाम समकालीन साहित्य के पाठकों के लिए अपरिचित नहीं है। उनकी टिप्पणियाँ और कविताएँ लगातार पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती…