आलेख : लक्ष्मण प्रसाद गुप्ता
देखिए, अब जिंदगी की तर्जुमानी है ग़ज़ल – लक्ष्मण प्रसाद गुप्ता ‘‘ग़ज़ल कभी भी देशों या मज़हबों की सरहदों में कै़द नहीं हो पाई। इसे ज़बरदस्ती रूहानी या आध्यात्मिक लिबास…
देखिए, अब जिंदगी की तर्जुमानी है ग़ज़ल – लक्ष्मण प्रसाद गुप्ता ‘‘ग़ज़ल कभी भी देशों या मज़हबों की सरहदों में कै़द नहीं हो पाई। इसे ज़बरदस्ती रूहानी या आध्यात्मिक लिबास…
महात्मा गांधी के सपनों के भारत में एक सपना राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी को प्रतिष्ठित करने का भी था. उन्होंने कहा था कि राष्ट्रभाषा के बिना कोई भी राष्ट्र…