डॉ. शाही एक निर्भीक व्यक्तित्व :: डॉ. शान्ति कुमारी
डॉ. शाही एक निर्भीक व्यक्तित्व – डॉ. शान्ति कुमारी ” जो नर आत्मदान से अपना जीवन घर भरता है , वही मृत्यु के मुख में भी पड़कर न कभी मरता…
डॉ. शाही एक निर्भीक व्यक्तित्व – डॉ. शान्ति कुमारी ” जो नर आत्मदान से अपना जीवन घर भरता है , वही मृत्यु के मुख में भी पड़कर न कभी मरता…
अविभाजित भारत का पहला कृषि अनुसंधानशाला पूसा – वीरेन नंदा बिहार के मुजफ्फरपुर से तीस किलोमीटर दूर पूसा में किलानुमा हवेली हुआ करता था। पूसा अब समस्तीपुर जिला के अंतर्गत…
गेहूं रहा न गुलाब 23 दिसंबर 2024 को बेनीपुर से लौटकर – बिभेष त्रिवेदी इस बार हम लौटने के समय बेनीपुर पहुंचे। मुजफ्फरपुर -सीतामढ़ी रोड में जनाढ़ चौक से पूरब…
ज़िन्दगी जितना सिखा नहीं पाती /हादसे उतना सिखा देते हैं डॉ.भावना समझ में नहीं आ रहा कि कहाँ से शुरू करूँ? मेरी एक ग़ज़ल का शेर है – जिन्दगी जितना…
दिनकर की बाल कविताओं का माधुर्य -डॉ. ज़ियाउर रहमान जाफरी हिंदी कविता में दिनकर का समय छायावाद के बाद है. दिनकर पुर हिंदी साहित्य में जयशंकर प्रसाद के बाद दूसरे…
यथार्थ के प्रकाशित धरातल पर हिन्दी ग़ज़ल – अनिरुद्ध सिन्हा…
डॉ शांति कुमारी:शिक्षा, सृजन और सरोकार की संवेदना डॉ संजय पंकज ग्रामीण सामाजिकता में पली-बढ़ी कोई स्त्री जब शिक्षा और सृजन के क्षेत्र में आती है तो उसके योगदान महत्वपूर्ण,…
माँ तुम्हारा धन्यवाद… (आद्या भारद्वाज द्वारा अपनी नानी माँ पर लिखा संस्मरण) मैं अपनी नानी माँ डॉ शांति कुमारी को ‘माँ’ कह कर बुलाती थी। घर में सभी लोग उन्हें…
कला का प्रयोजन क्या है – डॉ सतीश कुमार राय अस्टे फिशर ने लिखा है-“कला इसलिए जरुरी है कि…
स्मृतिशेष साहित्यकार डॉ श्रीरंग शाही की जयंती ( 7 फरवरी) पर उनका आलेख श्रीमती चौहान ओज और वीर रस की गायिका थी। आप वीरों का कैसा हो वसंत और झांसी…