विशिष्ट ग़ज़लकार :: दिनेश तपन
दिनेश तपन की ग़ज़लें 1 धन दौलत संजोते रह गए पाप उमर भर ढोते रह गए थी ख़ुशियों की जिन्हें तमन्ना वे ही सब दिन रोते रह गए …
दिनेश तपन की ग़ज़लें 1 धन दौलत संजोते रह गए पाप उमर भर ढोते रह गए थी ख़ुशियों की जिन्हें तमन्ना वे ही सब दिन रोते रह गए …
रमेश कँवल की छह ग़ज़लें 1 बदला बदला सा है मेरा दफ़्तर रूप सज्जा में है नया दफ़्तर बायोमेट्रिक से लोग आते हैं सीसीटीवी लगा हुआ दफ़्तर लैपटॉपों…
मधुवेश जी की 230 शेरों की लंबी ग़ज़ल का कुछ अंश ग़ज़ल : बहुत पहले न मोटर थी न बाइक थी न रिक्शा था बहुत पहले सफ़र पैदल किया…
1 हो न जाएं ख़ाक ये सद्भावना की बस्तियांँ मज़हबों की माचिसों में नफरतों की तीलिया कुछ हवा कुछ रोशनी कुछ खुशबुएं मिलती रहें, बस खुली रखनाहमेशा सोचकी सब…
डॉ विनोद प्रकाश गुप्ता ‘शलभ’ की चार ग़ज़लें 1 मुझे इश्क़ का तो पता नहीं , तेरे दिल का मुझको ख़याल है , जो मैं तुझ से मिल के न…
समीर परिमल की छह ग़ज़लें 1 आगे बढ़कर जी लूँ जिसको लम्हा ढूँढ रहा हूँ मैं काले सायों में इक साया अपना ढूँढ रहा हूँ मैं तेरे मेरे बीच में…
देवेंद्र मांझी की पांच ग़ज़लें 1 तमाम रात तड़प कर निकाल दी मैंने क़ज़ा भी आई जो सर पे वो टाल दी मैंने ज़माना मेरे तअक़्क़ुब में क्यों है…
केशव शरण की ग्यारह ग़ज़लें 1. बताये दर गया था तुम वहाँ भी थे नहीं मैं पुराने घर गया था तुम वहाँ भी थे नहीं वायदे पर भेंट करने चीज़…
डॉ.पंकज कर्ण की दो ग़ज़लें 1 हमें तहज़ीब दुनिया की वो कुछ ऐसे सिखाता है निगाहें हम मगर वो देखिए उंगली उठाता है तिरंगे में बसा ईमान सबका जानने वाला…
तिरंगे की शान है दिनेश प्रभात पर्वत की चोटियों पे तिरंगे की शान है कह दो कि मेरे देश का सैनिक महान है बेटे ने मेरे दूध का कर्जा चुका…