विशिष्ट ग़ज़लकार :: ब्रह्मजीत गौतम

माँ ब्रह्मजीत गौतम उम्र अधिक है, तन जर्जर है माँ फिर भी सबसे सुंदर है माँ से ही घर होता घर है वरना तो केवल खँडहर है ममता, प्रेम, दया,…

विशिष्ट ग़ज़लकार :: पंकज सिद्धार्थ

ग़ज़ल पंकज सिद्धार्थ  माँ अपनी संतान के सर पर आँचल को फैलाती है धूप में शीतल छाया देकर सुख उसको पहुँचाती है आशीर्वाद के फूल निछावर उसपर करती रहती है…

विशिष्ट ग़ज़लकार :: डॉ. अफ़रोज आलम

ग़ज़ल डॉ. अफ़रोज़ आलम ऐ मां मुझे करनी है सिफ़त तेरी रक़म आज हैरान है मेरी अक़्ल, परेशान है क़लम आज मिलती है शब ओ रोज़ मुझे तेरी दुआएं मैं…

विशिष्ट ग़ज़लकार :: अनिरुद्ध सिन्हा

मां अनिरुद्ध सिन्हा सच पूछो तो ममता की जंज़ीर चुरा ली है मैंने माँ से माँ की ही तस्वीर चुरा ली है कुछ बिखरी उम्मीदों ने तक़दीर चुरा ली है…

विशिष्ट ग़ज़लकार :: वशिष्ठ अनूप

ग़ज़ल वशिष्ठ अनूप तिनके तिनके हमेशा जुटाती रही एक घर अपने मन में बनाती रही दूध और भात हर दिन कहाँ था सुलभ किंतु मां चंदा मामा बुलाती रही नेह…

विशिष्ट ग़ज़लकार :: रवि खण्डेलवाल

ग़ज़ल रवि खण्डेलवाल घर के अंदर माँ रहती है, माँ के अंदर घर बिन माँ के सूनी दीवारें, सूना घर का दर माँ ही ऐसी होती जो दुनिया के दुख…

विशिष्ट ग़ज़लकार :: डॉ.अंजनी कुमार सुमन

ग़ज़ल डाॅ. अंजनी कुमार सुमन नेमत है मन्नत है रब है सच में चारों धाम है माॅं हर बच्चे का काबा काशी अल्लाह यीशू राम है माॅं ममता की कोमल…

विशिष्ट ग़ज़लकार :: डॉ.सोनरूपा विशाल

ग़ज़ल  डॉ.सोनरूपा विशाल शाम सी नम,रातों सी भीनी,भोर सी है उजियारी माँ मुझमें बस थोड़ी सी मैं हूँ, मुझमें बाक़ी सारी माँ जब मुश्किल हालात के अंगारों से हमको आँच…

विशिष्ट ग़ज़लकार :: संजीव प्रभाकर

ग़ज़ल  संजीव प्रभाकर हमेशा काम करती माँ, यूँ सुब्ह-ओ-शाम करती माँ कभी देखा नहीं लेटी हुई आराम करती माँ कड़ी मेहनत बताती थी -मेरी हर कामयाबी को मेरी सब मुश्किलों…